Thursday 20 June 2024

ईश्वर वाणी

 ईश्वर कहते है, "हे मनुष्यों आज तुम्हें मेरे स्वरूप जो ब्रह्मा विष्णु और शिव के रूप मे जाने जाते हैं उनके विषय मे बताता हूँ!! 


ब्रह्मा- जो समूचे ब्रमांड के रचनाकार है, अर्थात जिनके एक अंश अर्थात अंड से पूरे ब्रमांड की रचना हुई, ऐसी विशाल रचना के रचियता ही ब्रह्मा है, समूचे भौतिक जगत, देह, वनस्पति जो कुछ भी भौतिकता के लिए आवश्यक है, उनकी रचना करने वाला भौतिकता को रचने वाला ही ब्रह्म है!! 

विष्णु- नाम के अनुसार विष- नु= विष्णु, विष अर्थात ज़हर, नु अर्थात बहना साथ ही नु मतलब माया,निरंतर विष बहना विष्णु और संसारिक माया मे जो विष समान है उसके लिए कार्य करना ही विष्णु का एक अर्थ है, 

किंतु दूसरा शाब्दिक अर्थ है परिवर्तन, चाहे ये अच्छा हो या बुरा, पसंद हो या नही, पर हर पल परिवर्तन होता है होता रहेगा, यही कार्य है विष्णु का, तमाम परिवर्तन के बाद भी जो सहिष्णु रहे वही है विष्णु! 


शिव- जो भौतिक जगत के नियमो को सही मानता है वो हर बार मरता है जन्म लेता है, किंतु जो देह को शव और आत्मा को जीवन मानता है वो है शिव, अर्थात भौतिकता नाशवान है पर आत्मा नही, इसलिए जो अमर है उससे प्यार करो, जो मिट्टी का बर्तन बार बार टूट जाए उससे अधिक मोह न रखो, मोह उससे रखो जो इन बर्तनो मे भरा गया, शिव यही बताते हैं, उनके तांड्वा का यही मतलब है, जो भौतिक है नष्ट होगा और यही बात माता सती ने खुद को सती कर के भी बताई जो भौतिक है नष्ट होगा पर जो अभोतिक है युगो तक रहेगा, यही शिव का वास्तविक नाम और कार्य है!! "


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