ग्रह जो जीवन जाती के चक्रो से संभंधित है
1- मूलाधार चक्र
ग्रह- गुरु,मंगल और प्रथ्वी
कारण- पृथ्वी को मंगल ग्रह की माता कहा गया है, साथ ही यही पृथ्वी हर जीव की बुनियादी आवश्यकता पूर्ण करती है, मंगल के साथ इसका रिश्ता हमारे भौतिक रिश्तों के साथ संबंधों को दिखता है, हमारे रिश्ते माता पिता भाई बहन रिश्तेदारों पड़ोसियों दोस्त पति पत्नी प्रेमी प्रेमिका सहपाठियों इत्यादि से कैसे है दिखाता है, अगर रिश्ते खराब है या भौतिक बुनियादी आवश्यकता को पूरा करने मे समस्या आ रही है तो इनका उपचार आवश्यक है, वही गुरु व्यक्ति की की बुनियादी शिक्षा और उच्च शिक्षा और उस से उसको इस भौतिक जीवन मे कितना लाभ होगा ये बताता है, मूलाधार चक्र के संतुलित होने पर ये तीन ग्रह मजबूत स्थिति मे आते हैं जिससे व्यक्ति को लाभ होता है,
2- स्वादिष्ठन चक्र
ग्रह- शुक्र
यधपि शुक्र धन की प्रचुरता को दर्शता है, पर स्वादिष्ठान चक्र का स्वामी होने के कारण व्यक्ति की कामुकता और सेक्स लाइफ को दिखाता है, अगर ये बहुत ज्यादा एक्टिव है तो व्यक्ति sexualy active होगा हद से ज्यादा, अगर ये खराब है तो सेक्स मे दिलचस्पी नही होगी जिससे उसकी शादीशुदा ज़िंदगी पर असर होगा, sexual emotions हद से ज्यादा होंगे या बिल्कुल नही होंगे अगर इसमें संतुलन नही है तो, इसलिए इस चक्र को संतुलित रखने को कहा जाता है,
3-मणिपुर चक्र
ग्रह- सूर्य
सूर्य सभी ग्रहो का स्वामी है, इसलिए इस का असर इस चक्र पर भी पड़ता है, ये चक्र पारिवारिक करीबी रिश्ते जैसे पति पत्नी माता पिता संतान और सगे भाई बहनो से संबंध और धन, नाम और शोहरत को दिखाता है, अगर ये संतुलित है तो व्यक्ति के रिश्ते परिवार से अच्छे बने रहेंगे, नाम और शोहरत मिलेगी, सूर्य देव का आशीर्वाद मिलेगा,
लेकिन ये चक्र खराब है तो रिश्ते खराब होंगे, पैसों की कमी होगी, बदनामी होगी, पेट मे गड़बड़ रहेगी, शरीर मे ताप अधिक रहेगा, इसलिए इस चक्र को संतुलित रखे, ठंडी और पेय चीजों का सेवन करे,
4- अनाहत चक्र
ग्रह- बुध
आमतोर पर बुद्ध को बुद्धि से संबंधित ग्रह मानते हैं, पर इसका संबंधित जीव जाती के अनाहत चक्र (हार्ट chakra) से है, बुध ग्रह हमारी भावनाओ को
दिखाता है, हमारे दुख सुख हसना रोना सब इसकी देन है, इसलिए ये जीव जाती के अनाहत चक्र को संचालित करता है अतः अनाहत चक्र का स्वामी है,
5- विशुद्ध चक्र
ग्रह- शनि, राहु- केतु
वाणी कैसी होगी, किसको क्या कहना है, क्या उत्तर देना है ये सब इन ग्रहो के कारण है, अगर विशुद्ध चक्र जागृत और संतुलित है, तो व्यक्ति कभी किसी के लिए गलत वाणी नही निकलता, जो भी वो कहता है लोग सुनते और भरोसा करते हैं, ऐसा व्यक्ति न झूठ बोलता है न ही झूठ बर्दास्त करता है, किंतु अगर ये चक्र असंतुलित है तो व्यक्ति झूठा, अपशब्द बोलने वाला, गलत बोल बोलता वाला होगा, लोग उसकी तरफ आकर्षित नही होंगे, हुए भी तो उसके साथ रुकेंगे नही, मित्र से अधिक शत्रु बनायेगा, इसलिए इस चक्र को संतुलित रखना चाहिए, आध्यात्मिक दृष्टि से भी आध्यात्मिक जगत मे इसका बड़ा योगदान है, समस्त सिद्धियाँ यही रहती है,
6- आज्ञा चक्र
ग्रह- चंद्रमा
व्यक्ति का पूर्वानुमान या पूर्वभास् छमता कैसी है ये इस ग्रह और चक्र से पता चलता है, अगर कुंडली मे चंद्रमा अच्छी हालत मे है और आज्ञा चक्र थोड़ा सा भी एक्टिव और संतुलित है तो व्यक्ति अपने intution का उपयोग सही दिशा मे कर के बहुत कुछ प्राप्त कर सकता है किंतु अगर ये blocked है या असंतुलित है तो आपको जीवन मे नुकसान उठाना पड़ सकता है,
7- सहस्त्रार् चक्र
ग्रह- गुरु,समूचा ब्रमांड
ये चक्र व्यक्ति की सोच, बाल, चेतन, अवचेतन unconcious mind और जन्म जन्मो की यादों को खुद मे साजोय हुए हैं, व्यक्ति क्या और कब फेसले लेगा, कितने सही और कितने गलत फेसले लेगा, उसकी सोच अच्छी और समाज कल्याण के लिए है या आपराधिक सोच है, ये सब इस चक्र के संतुलित और असंतुलित होने पर निर्भर करता है साथ ही ये कितना एक्टिव और blocked है ये जीव की सोच से पता लगता है! साथ ही गुरु व्यक्ति के गुन और दोषों को बताता है, अगर सहष्ट्रार् संतुलित है तो व्यक्ति गुनी होगा अगर असंतुलित है तो आपराधिक सोच का मालिक स्वार्थी होगा
Written by so called anti hindu
Batya gya swam pita parmeshwar
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