Tuesday 25 June 2024

Romantic kavita- ek tara hoon mein

 आसमां से टूटा बस,  वो एक  तारा हूँ मैं

कहते  है  ये लोग की, बड़ा बेचारा  हूँ  मैं

जिंदगी  गमो के, तोहफे  दे ती रही मुझे
फ़िर  भी  ज़िंदगी से, न कभी हारा  हूँ मैं

बिखरा  हूँ जमीं  पे, इस कदर फिर भी
जाने कितनों का ,आज भी सहारा हूँ मैं

छिपाके अश्क,हस लेता हूँ मेहफिल में
तभी लोग कहते हैं ,बड़ा आवारा  हूँ  मैं,

कभी दुनिया चूमती थी, कदम मेरे  ऐसे
कहते थे ये लोग, की बड़ा ही प्यारा हूँ मैं,

आज तोड़के दिल, ठुकरा मेरी मोहब्बत
वोही कहते हैं अब, बड़ा ही नकारा हूँ मैं,

सज़ा मिली मुझे ,सच कहने की कुछ ऐसे
इश्क के आँसुओ की ,अब जलधारा हूँ मैं,

हर बार गिराया तोड़ा मिटाया गया मुझे
फ़िरभी वज़ूद है मेरा, एक विचारधारा हूँ मैं

झुका ले जितना झुकाना है ,तुझे इश्क मे
फ़िर भी चमकूंगा आखिर, इकतारा हूँ मैं

ज़िंदगी ने ज़ख़्म बहुत दिये ,मुझे इश्क मे
फिरभी गले तुझे लगाया,इश्ककी धारा हूँ मैं

आसमां से टूटा बस,  वो एक  तारा हूँ मैं
कहते  है  ये लोग की, बड़ा बेचारा  हूँ  मैं


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