हर मर्द मुझे नामर्द नज़र आता है, हर शख्स मुझे बेदर्द नज़र आता है, ये ज़माना मुझे शेतान नज़र आता है, हर अपना मुझे बेगाना नज़र आता है, घूरती हुई नज़रों वाला भी हर कोई मुझे हेवान नज़र आता है, नज़ारे झुखा कर चलने वाला भी मुझे जिस्म का अभिलाषी नज़र आता है, कितने धोखे मिले हैं मुझे लोगों से, लगी हैं कितनी ठोकरे बस अपनों से, दिला कर ऐतबार अपनी वफ़ा का बेवफाई मिली है बहुत मुझे ज़माने से, खुद को मर्द कहने वाले, अक्सर अपनी बातों पे डटे रहने का ढोंग करने वाले मुझे फरेबी नज़र आते हैं, अक्सर साथ चलने का वादा करने वाले मुझे बीच राह में छोड़ने वाले नज़र आते हैं, ये मेरी नज़रों का धोखा है शायद या फिर बीते दिनों का दर्द है कही इस दिल में जो ज़िन्दगी में मुझे हर अपना दूर नज़र आता हैं, वासना में डूबा हर शख्स मुझे रावण नज़र आता है, दिल लगा कर छोड़ जाने वाला हर मर्द भी मुझे नामर्द नज़र आता है..
this is not only a hindi sher o shayri site, there is also u can see short stories, articals, poetry in ur own language yes off course in hindi......
Thursday, 30 May 2013
ईश्वर वाणी(ishwar vaani) maanav vikratiyaan **40**
ईश्वर कहते हैं हमारे हाथों की जो उंगलियाँ हैं वो पांच प्रकार बुराइयां
हैं अर्थात पांच प्रकार की बुराइयों की अर्थात व्याधियों की प्रतीक हैं जिन्हें मनुष्य को
त्याग कर प्रभु भक्ति, सत्कर्म एवं अछे एवं नेतिक आचरण का अनुसरण करते हुए
मोक्ष प्राप्ति हेतु अग्रसर रहना चाहिए।
ईश्वर बताते हैं ये
पांच प्रकार की बुराइयां मानव में कौन-कौन सी हैं जिनके वशीभूत हो कर मानव
इश्वरिये कार्यों की अवहेलना करके सदा दुःख को प्राप्त है। प्रभु बताते हैं ये
बुराईयाँ हैं 'काम', 'क्रोध', 'लोभ', 'मोह' और अहंकार, प्रभु कहते हैं
मनुष्य अपने इश्वरिये उद्देश्यों को भूल कर इस मृत्यु लोक में केवल अपने
शारीरक सुख एवं भोगों में लिप्त हो कर इन पांच तत्वों का गुलाम हो कर
इश्वरिये कृपा को खो देता है एवं अपने इस मानव जीवन में दुःख पाता जो की
प्रभु ने उसे मोक्ष पाने के लिए दिया है, इनमे लिप्त हो कर मनुष्य फिर सदा
जन्म-मरण के चक्र में उलझा रहता है और दुखों को प्राप्त करता रहता है।
Wednesday, 29 May 2013
बस इतनी सी खता इस ने दिल की
बस
इतनी सी चाहत है इस दिल की थाम कर मेरा हाथ ऐ मेरे दिलबर तू मुझे
जन्म-जन्मों का प्यार दे ,ले कर अपने बाहों में मुझे मेरी ज़िन्दगी तार दे
,मिले मुझे इनती मोहब्बत तुझसे ना मिली कभी किसी को किसी से , मिले मुझे
इतनी चाहत तुझी से ना मिली कभी किसी को किसी से , मिले मुझे इतनी ख़ुशी
तुझिसे ना मिली हो कभी किसी को किसी से ,
है पता मुझे जिस चीज़ की ख्वाइश है मुझे वो तो नहीं मिलती है अब इस सरज़मीं
पे ,वो तो मिलती है मन की कल्पनो में या फिर नज़र आती है बस ख़्वाबों में या
फिर दिखती है नाट्यशालाओं के किसी किरदार में ,
है पता मुझे की ना तो आज कोई ऐसा मिलेगा हमसफ़र जिसका दिल सिर्फ मुझी को चाहेगा , और ना नज़र कही वो दिलबर जिसे सिर्फ मुझसे प्यार होगा , एक सच्चे दिल वाला वो आशिक ना कही मुझे मिलेगा ,
है पता मुझे की ना तो आज कोई ऐसा मिलेगा हमसफ़र जिसका दिल सिर्फ मुझी को चाहेगा , और ना नज़र कही वो दिलबर जिसे सिर्फ मुझसे प्यार होगा , एक सच्चे दिल वाला वो आशिक ना कही मुझे मिलेगा ,
दुःख नहीं मुझे की मेरी ये ज़िन्दगी इस इंतज़ार में गुज़र जायेगी , रंज तो इस बात का है की मेरी बस इतनी सी ख्वाइश अधूरी रह जायेगी ,
स्वार्थ की बनी इस दुनिया में आज सच्ची चाहत भी बस मतलब की है , फरेब से बने हर रिश्ते की बात क्या अब मुझे कहनी है ,
झूठ और धोखे के बीच में एक सच्चे दिलबर को पाने की खता की , जो थाम कर मेरा हाथ जन्म-जन्मों का प्यार दे बस इतनी सी चाहत की , बेईमानी से बने इन रिश्तों से मैंने ईमान की हसरत की ,बेफवाई को अपनी ख़ुशी समझने वालों से मैंने वफादारी की उम्मीद की, अत्याचार और अन्याय से बनी इस दुनिया से मैंने प्यार और न्याय की आस की,व्याभिचार में लगे लोगों से मैंने एक सच्चे दिलदार को पाने की आस की, बस ये ही खता मैंने अपनी इस ज़िन्दगी में की,
झूठ और धोखे के बीच में एक सच्चे दिलबर को पाने की खता की , जो थाम कर मेरा हाथ जन्म-जन्मों का प्यार दे बस इतनी सी चाहत की , बेईमानी से बने इन रिश्तों से मैंने ईमान की हसरत की ,बेफवाई को अपनी ख़ुशी समझने वालों से मैंने वफादारी की उम्मीद की, अत्याचार और अन्याय से बनी इस दुनिया से मैंने प्यार और न्याय की आस की,व्याभिचार में लगे लोगों से मैंने एक सच्चे दिलदार को पाने की आस की, बस ये ही खता मैंने अपनी इस ज़िन्दगी में की,
दुःख
नहीं मुझे अपनी इन खातों का , रंग तो ये है की मैंने हेवानो में भगवान् को
देखने की खता की, जिस्मों की भूखे इन इंसानों में मैंने एक सच्चे दिलबर
की आस की, झूठ से बने इन रिश्तो में मैंने एक सच्चे हमसफ़र की चाहत की, बस
ये ही खता मैंने की, बस इतनी सी खता इस ने दिल की
Friday, 17 May 2013
नशा
हर गम से दूर ले जाता है ये नशा, हर दर्द हर ख़ुशी में भी सभी के काम आता
है ये नशा, अपने मोहजाल में हर किसी को कभी न कबि फसा ही लेता है ये नशा, ये जरुरी नहीं की सिर्फ कुछ लेने से ही हो जाता है ये नशा, कभी
मोहब्बत तो कभी यार के मिलने से भी चढ़ जाता है ये नशा, अनेक है इसकी बाते,
जाने कितनी करी हैं इसने करामातें, पर हर करामत के बाद सबके सर चढ़ के बोलता है
ये नशा, पहले पहल लगता है बेहद खराब और कड़वा, पर जैसे-जैसे वक्त के साथ आदत पड़ने लगती है, उस कडवाहट में भी मीठी खुशबू आने लगती है, लोग भले ये कहे दूर ज़िन्दगी से ले जाता है हर तरह का नशा, लेकिन हम क्या बताये तुम्हे यारो हमे तो अपने में ही ज़िन्दगी दिखाता है ये नशा।
Thursday, 16 May 2013
ईश्वर वाणी -ishwar vaani (निर्दयी एवं कठोर)**39**
ईश्वर कहते हैं जो मनुष्य निर्दयी एवं कठोर हैं , जो मनुष्य किसी दुसरे
प्राणी का दुःख-दर्द नहीं समझते , जो मनुष्य केवल स्वं से ही मतलब रखते हैं
ऐसे मनुष्य निश्चित ही पशु के सामान हैं , ईश्वर कहते हैं उन्होंने इस
प्रथ्वी पर मनुष्य को एक दुसरे के काम आने, एक दूसरे के दुःख दर्द को
बांटने एवं उन्हें दूर करने हेतु भेजा है ना की स्वं के स्वाथों की पूर्ती
हेतु और शारीरिक भोगे को भोगने हेतु, ईश्वर कहते हैं मनुष्य को सम्पूर्ण
प्रथ्वी का और प्रकृति द्वारा दी गयी वश्तुओं का ख्याल रखना चाहिए, प्रभु
कहते हैं उन्होंने मनुष्य जाती को सम्पूर्ण धरा की देखभाल एवं प्राणियों की
सुरक्षा और उन्हें प्रेम देने के लिए भेजा है।
ईश्वर कहते हैं जो मनुष्य ईश्वर द्वारा निर्धारित कार्यों की पूर्ती ना कर केवल अपने स्वार्थ की पूर्ती में लग कर और केवल शारीरिक भोगों में तृप्त रहते हैं ऐसे व्यक्ति सदा जन्म मरण चक्र में फसे रहते हैं था मोक्ष को कभी प्राप्त नहीं होते।
ईश्वर कहते हैं उन्होंने मानव जीवन इसलिए दिया है अर्थात वो किसी भी जीव को मानव जीवन इसलिए देते हैं ताकि प्राणी अपने अनेक जन्मों के पापों का प्रायश्चित कर प्रभु की आज्ञा अनुसार कार्य कर अपने समस्त अवगुणों का त्याग कर सत्कर्म एवं भक्ति करते हुए अपने भोतिक शारीर का त्याग कर अनंत मोक्ष प्राप्त करने का अधिकारी बने, किन्तु जो व्यक्ति ईश्वर द्वारा बताई गयी बातो एवं उनके द्वारा निर्धारित कार्यों की पूर्ती नहीं करते ऐसे व्यक्ति सदा जन्म मरण के मायाजाल में फसे रहते हैं एवं अनंत कष्ट भोगते हैं।
ईश्वर कहते हैं जो मनुष्य ईश्वर द्वारा निर्धारित कार्यों की पूर्ती ना कर केवल अपने स्वार्थ की पूर्ती में लग कर और केवल शारीरिक भोगों में तृप्त रहते हैं ऐसे व्यक्ति सदा जन्म मरण चक्र में फसे रहते हैं था मोक्ष को कभी प्राप्त नहीं होते।
ईश्वर कहते हैं उन्होंने मानव जीवन इसलिए दिया है अर्थात वो किसी भी जीव को मानव जीवन इसलिए देते हैं ताकि प्राणी अपने अनेक जन्मों के पापों का प्रायश्चित कर प्रभु की आज्ञा अनुसार कार्य कर अपने समस्त अवगुणों का त्याग कर सत्कर्म एवं भक्ति करते हुए अपने भोतिक शारीर का त्याग कर अनंत मोक्ष प्राप्त करने का अधिकारी बने, किन्तु जो व्यक्ति ईश्वर द्वारा बताई गयी बातो एवं उनके द्वारा निर्धारित कार्यों की पूर्ती नहीं करते ऐसे व्यक्ति सदा जन्म मरण के मायाजाल में फसे रहते हैं एवं अनंत कष्ट भोगते हैं।
Wednesday, 15 May 2013
ये नशा भी क्या चीज़ है यारों
ये
नशा भी क्या चीज़ है यारों , हर गम से अनजान है ये,हर हारे हुए की जान है
ये ,हर टूटे हुए दिल की शान है ये ,
नशे में डूबा हुआ हर शख्स खुद को सदा
जोश में है पाता , जो नहीं कर सकता वो होश में रह कर वो नशे में डूब कर है
कर जाता ,
हर गम-ऐ-ज़िन्दगी के लिए जीने की आस है ये ,
हर भटकते हुए राही की
प्यास है ये ,ठोकर लगे हर शख्स के लिए एक नव जीवन की आस है ये ,मझधार में
फसे हुए नाविक की आखिरी सांस है ये , दुखो से दूर एक नए खुशहाल जीवन में
फिर से लौट आने की इबादत है ये, हर गम हर दर्द से लड़ने की ताकत है ये ,
और
क्या बताऊ तुम्हे ऐ मेरे दोस्तों ज़िन्दगी का सबसे हसीं रास्ता है ये, रोते
हुए चेहरे पे ख़ुशी पाने का एक आसान सफ़र है ये,
ज़िन्दगी जीने का गलत ही सही
लेकिन मौत को गले लगाने का सबसे सस्ता और बेहतरीन रास्ता है ये,
क्योंकि ये नशा भी क्या चीज़ है यारों।
Subscribe to:
Posts (Atom)