Wednesday 29 May 2013

बस इतनी सी खता इस ने दिल की

बस इतनी सी चाहत है इस दिल की थाम कर मेरा हाथ ऐ मेरे दिलबर तू मुझे जन्म-जन्मों का प्यार दे ,ले कर अपने बाहों में मुझे मेरी ज़िन्दगी तार दे ,मिले मुझे इनती मोहब्बत तुझसे ना मिली कभी किसी को किसी से , मिले मुझे इतनी चाहत तुझी से ना मिली कभी किसी को किसी से , मिले मुझे इतनी ख़ुशी तुझिसे ना मिली हो कभी किसी को किसी से ,
    है पता मुझे जिस चीज़ की ख्वाइश है मुझे वो तो नहीं मिलती है अब इस सरज़मीं पे ,वो तो मिलती है मन की कल्पनो में या फिर नज़र आती है बस ख़्वाबों में या फिर  दिखती है  नाट्यशालाओं के किसी किरदार में ,
है पता मुझे की ना तो आज कोई ऐसा मिलेगा हमसफ़र जिसका दिल सिर्फ मुझी को चाहेगा , और ना  नज़र कही वो दिलबर जिसे  सिर्फ मुझसे प्यार होगा , एक  सच्चे  दिल वाला वो आशिक ना कही मुझे मिलेगा , 
दुःख नहीं मुझे की मेरी  ये ज़िन्दगी इस इंतज़ार में गुज़र जायेगी , रंज तो इस बात का है की मेरी बस इतनी सी ख्वाइश अधूरी रह जायेगी ,
    स्वार्थ की बनी इस दुनिया में आज सच्ची चाहत भी बस मतलब की है , फरेब  से बने हर रिश्ते की बात क्या अब मुझे  कहनी है ,

झूठ और धोखे के बीच में एक सच्चे दिलबर को पाने की खता की , जो थाम कर मेरा हाथ जन्म-जन्मों का प्यार दे बस इतनी सी चाहत  की , बेईमानी से बने इन रिश्तों से मैंने ईमान की हसरत की ,बेफवाई को अपनी ख़ुशी समझने वालों से मैंने वफादारी की उम्मीद की, अत्याचार और अन्याय से बनी इस दुनिया से मैंने प्यार और न्याय की आस की,व्याभिचार में लगे लोगों से मैंने एक सच्चे दिलदार को पाने की आस की, बस ये ही खता मैंने अपनी इस ज़िन्दगी में की,

दुःख नहीं मुझे अपनी इन खातों का , रंग तो ये है की मैंने हेवानो में भगवान् को देखने की  खता की, जिस्मों की भूखे इन इंसानों में मैंने एक सच्चे दिलबर की आस की, झूठ से बने इन रिश्तो में मैंने एक सच्चे हमसफ़र की चाहत की, बस ये ही खता मैंने की, बस इतनी सी खता इस ने दिल की 

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