Thursday 30 May 2013

ईश्वर वाणी(ishwar vaani) maanav vikratiyaan **40**

ईश्वर कहते हैं हमारे हाथों की जो उंगलियाँ हैं वो पांच प्रकार बुराइयां हैं अर्थात पांच प्रकार की बुराइयों की अर्थात व्याधियों की  प्रतीक हैं जिन्हें मनुष्य को त्याग कर प्रभु भक्ति, सत्कर्म एवं अछे एवं नेतिक आचरण का अनुसरण करते हुए मोक्ष प्राप्ति हेतु अग्रसर रहना चाहिए।

ईश्वर बताते हैं ये पांच प्रकार की बुराइयां मानव में कौन-कौन सी हैं  जिनके वशीभूत हो कर मानव इश्वरिये  कार्यों  की अवहेलना करके सदा दुःख को  प्राप्त  है। प्रभु बताते हैं ये बुराईयाँ हैं 'काम', 'क्रोध', 'लोभ', 'मोह' और अहंकार, प्रभु कहते हैं मनुष्य अपने इश्वरिये उद्देश्यों को  भूल कर इस मृत्यु लोक में केवल अपने शारीरक सुख एवं भोगों में लिप्त हो कर इन पांच तत्वों का गुलाम हो कर इश्वरिये कृपा को खो देता है एवं अपने इस मानव जीवन में दुःख पाता जो की प्रभु ने उसे मोक्ष पाने के लिए दिया है, इनमे लिप्त हो कर मनुष्य फिर सदा जन्म-मरण के चक्र में उलझा रहता है और दुखों को प्राप्त करता रहता है।




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