"ek
aam insan ban bhi kya jina, zindagi jina to usse kahte hai jiske marne
par bhi log yad usse karte hai, zindagi bhar har shakhs wo hi kaam karta
rahta hai jise wo duniya mein aane se le kar duniya se jane tak
dekhta-sikhta rahta hai, iss nakal kar ke zindagi jine ki kala ko chhod
kar jo shakhs apni zindagi jine ki ek nai rah chunta hai tamam kaanto
bhari raho se bhi jo nai ghabrata hai asal mein
zindagi kya hoti hai ye matlab usse paramparao aur prathao ke naam par
nakal kar zindagi guzarne walo se behtar samajh aata hai " (my thoughts
not my poetry), agr insan un paramparao aur prathao ki rudiyo par hi
chalta rahe to samaj me pariwarn kabi nai aayega aur samaj me samaj ko
behtar banane k liye hme un rudiyo ko todna hoga, jo log unhe todte hai
bhale tatkalin samaj me aalochna ka samna wo kare par itihaas k panno
par wo sada amar rahte hai, ye maana mushkil h samaj k virudhh ja kar
isme pariwartan laana par jo log apne prano ki b parwah na karte huye
samast prani samaj k hit k liye apne prano ko b nyochhawar karne ka
sachha vrat le lete h unke liye namumkin b mumkin ho jata h.....
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Thursday, 3 April 2014
ईश्वर वाणी (कभी किसी भी निर्दोष निरीह प्राणी को दुःख/पीड़ा/कष्ट नहीं पहुचाना चाहिए)-53
ईश्वर कहते हैं हमे कभी किसी भी निर्दोष निरीह प्राणी को दुःख/पीड़ा/कष्ट नहीं पहुचाना चाहिए, ईश्वर कहते हैं लोग अपने लाभ हेतु सदा दूसरों को कष्ट पंहुचा कर आनंदित होते हैं, उन्हें लगता है कि उन्हें कोई देख नहीं रहा रही, अपनी दुष्टता को अपनी चालाकी मान कर अहंकारवश सदा दुष्कार्य में वो लगे रहते हैं, किन्तु वो दुष्ट प्राणी नहीं जानते कि उन पर उस परम परमेशवर ईश्वर कि दृष्टि है, भले वो लोग अन्य प्राणियों कि आँखों में धुल झोंक कर अपना मतलब हल कर रहे हो, नियमित गलत कामों में लीन हो कर दूसरों पर दोषारोपण कर रहे हो, विभिन्न प्रकार के व्यभिचार कर रहे हो, झूठे आरोप, दुष्कर, ईर्ष्या, नीचा दिखाना, अपमानित करना इत्यादि कार्य कर के भले वो खुद कि और अन्य लोगों कि नज़रों में श्रेष्ट होने का दावा कर के प्रसन्न हो रहे हो किन्तु वो बुध्हिहीं नहीं जानते कि वो कही भी रहे और कुछ भी करे उन पर सदा उस ईश्वर कि दृष्टि रहती है, ऐसे प्राणियों को दंड इसी जन्म में ही नहीं मिलता अपितु कई जन्मों तक वो इन बुरे कृत्यों को भोगते हैं,
ईश्वर कहते है उन्होंने मानव जीवन केवल हमे अपना उध्धार करने हेतु दिया है, अपने समस्त पापों का प्रायश्चित करने हेतु दिया है, हमे ये जीवन समस्त प्राणियों कि निःस्वार्थ सेवा, सदाचार, कमजोर और शक्तिहीन कि सहायता, भाई चारा, प्रेम, प्राणी और प्रकृति कि सुरक्षा हेतु दिया है ना कि द्वेष, ईर्ष्या, व्यभिचार, दुराचार, अत्याचार, झूठ, फरेब और अन्य प्रकार कि बुराई में फस कर इस जीवन को बर्बाद करने हेतु दिया है,
ईश्वर कहते है जो लोग इश्वरिये मार्ग को भूल कर निम्न बुराइयों में लगे रहते हैं वो निश्चित ही इस मानव जीवन और उसकी महत्ता को नष्ट कर अपने मोक्ष के दरवाज़े बंद कर युगो युगो तक इस मृत्यु लोक में भटक भटक कर दुःख भोगते है…
मेरे जीवन कि दर्द भरी कहानी है
मेरे
जीवन कि दर्द भरी कहानी है, दिल में गम और आँखों सिर्फ पानी है, टूटे हुए
ख़्वाबों के साथ ज़िन्दगी में आज कितनी वीरानी है, खता बस इतनी सी है ऐ मेरे
खुद बस चाहा था इस ज़माने से पल दो पल का खुशियों भरा अफसाना, माँगा था औरों
कि तरह ज़िन्दगी का अपनी ये तराना, ना पता था मुझे ये ही मेरा कसूर होगा,
जिसको को भी हम समझेगे अपना वो ही दूर होगा, बेवफा दिलबर ही हर दफा मेरी
किस्मत को ही मंज़ूर होगा, फरेबी आशिकों से आशिकी कि मिली मुझे ये सजा, जिसकी वज़ह से मेरी ज़िन्दगी में अश्क और ग़मों के सिवा कभी कुछ न हासिल हुआ,
टूट कर बिखर गए ख्वाब मेरे जैसे टूट कर बिखर जाता है आसमान से तारा ज़मीं पर, बिखर गए हर कहीं पर पर अरमान भी सभी अब मेरे जैसे बिखर जाता है शीशा टूट कर ज़मीं पर,
अरमानों भरे इस दिल को तोड़ कर अपना मुह मोड़ कर जाने वाले इन आशिको कि बेवफाई से ही आज छाई ज़िन्दगी में मेरी इतनी वीरानी है,दिल में है गम और आँखों में बस पानी है, ये ही मेरे जीवन कि दर्द भरी कहानी है, दिल में है गम और आँखों में बस पानी है…
Tuesday, 1 April 2014
nishabd
hai
nai jahan mein akele hum fir bhi jaane q aaj nishabd hum hai, hai saath
apno ka har pal fir bhi jane q aaj nishabd hum hai, gherre baithe bheed
mein hume aaj ye log jaane q, baha rahe ashk apne dekh mujhe aise jaane
q,
lete hai zamin pe hum odey chaadar khud ko dhake huye, iss bheed mein
bhi tanha sa jaane q aaj bhi ye dil mera, kahna chahata logon se kuch
aaj bhi mann ye mera,
par hai nai aaj
iss dil mein koi halchal, honth hai khamosh aaj mere aur jaane q nishabd
hum hai,
hai karib sabke fir bhi ye aankhe sabki namm q hai puchhte hai
khud se hi sawal ye aur jawab bhi dete hai, hai gamm mein bhigi palke
jinki ashk unki aankho yu beh rahe, karte nai thakte the kabhi din-raat
jinse baat aaj fir wo baithe hai mere paas par nishabd hum hai......
Tuesday, 25 March 2014
इश्क का वायरस
किसी ने पूछा हमसे ये प्रेम रोग कैसे होता है, है ये लाइलाज़ या ये ठीक भी होता है??
हमने
उसे अपने पास बुलाया और बड़े ही प्यार से समझया, प्रेम का वायरस है बड़ा
पुराना, बड़े ही चतुराई से बुना गया है इसकी आकृति का ताना-बाना, आज कल
आधुनिकता का है ज़माना इसलिए और भी सहज हो गया है इसका हर किसी के घर में
घुस आना,
सुन कर हमारी ये बात वो हमसे पूछने लगे क्या है इसका मतलब जरा खुल भी कहिये??
हमने
शुरू किया फिर से उन्हें समझाना, इश्क का ये वायरस चला आता है आज कल
टेलीविज़न से, सिनेमा से और तो और आज कल ये अनेक वायरस कि राजधानी इंटरनेट
महारानी और मोबाइल देवता से आशीर्वाद प्राप्त कर मानव को अपने आधिपत्य में
ले लेता है, और यदि कोई जाने अनजाने इनसे बच भी गया तो मोहब्बत से भरा कोई
उपन्यास उसे अपनी गिरफ्त में ले लेता है और यदि फिर भी मानव का इम्यून
सिस्टम मज़बूत हुआ और इन सबसे उसका कुछ न हुआ तो दोस्त और जान्ने वालों के
द्वारा ये कभी न कभी तो ज़िन्दगी में दस्तक दे ही देता है और मानव को अपनी
गिरफत में ले ही लेता है,
सुन कर हमारी बात वो फिर
से पूछने लगे अजी महाराज आप जरा अब ये भी तो बताइये क्या है इन सबसे बचने
का कोई राज़, क्या है आखिर इस बीमारी से निबटने का इलाज़, क्या है इस बिमारी के लक्षण और क्या है इस बीमारी से बचने कि कोई दवा या इंजेक्शन????
हमने
फिर शुरू किया उनसे इस विषय पर फिर से बतियाना और शुरू किया समझाना, प्रेम
का वायरस है बड़ा पुराना, आदि काल से आज तक इस ये है लाइलाज़, दुनिया के
किसी भी वेध के पास नहीं है कोई औषधि और बूटी जिससे दूर हो सके ये बीमारी
और हो सके इसका इलाज़, रही बात लक्षणो कि तो शुरुआत में प्रेम रोगी बड़ा ही
खुश-खुश रहता है, है रहता जैसे सपनो कोई नशेड़ी वैसे ही प्रेम रोग पीड़ित
रहता है, अपने ख़्वाबों को हो हकीकत समझता है और हकीकत से वो कोसो दूर रहता
है, है दुनिया कि हर ख़ुशी उसकी मुठी में हर वक्त बस उसे ये ही वहम रहता है,
लेकिन
जैसे-जैसे ये रोग होता जाता है पुराना, फैलता जाता है इस वायरस का असर और
बना देता है दिल और दिमाग को गिरफ्त में अपनी ले कर बेअसर, तड़प ऐसी देता है
ये रोग इश्क का कि न तो जीने को हसरत रहती है आशिक को और न ही मौत ही आघोष
में समाती है ज़िन्दगी , भटकता रहता है आशिक अपने दिलबर कि एक झलक देखने के लिए, थक
जाती है नज़रे आशिक कि उसके एक दीदार के लिए और एक दिन जब उनसे दीदार होता
है वो कहते हैं हम तो है अब किसी और के हो लिए,जाओ तुम भी हो जाओ किसी और
के, खो जाओ किसी और कि बाहों में और भूल जाओ हमे, और जो तुम न कर सको ये तो
लो ये छुरा छेद लो इसे अपने सीने में ताकि तुम चैन से मर सको और मुझे मेरी
ये ज़िन्दगी मुझे जीने दो, जो भटक रहे हो तुम मेरी यादों में इधर-उधर, जो
ढून्ढ रहे हो तुम मुझे हर जगह और इस दिल पर, भुला दो मुझे और चैन से मुझे
जीने दो, तुम भले मर जाओ पर है कसम तुम्हे मेरी मुझे मेरी ये ज़िन्दगी जीने
दो,
सुन कर मेहबूब कि ये बात क्या गुज़रती है आशिक के दिल पर लेकिन नहीं समझता मेहबूब ये बात, छोड़ उसे तनहा अकेले वो दूर बहुत चला जाता है, रह जाता है केवल आशिक अकेला या फिर उसके साथ उसकी आँखों से बहता ये अश्क ही निभाता है,
सुन
कर हमारी बात फिर वो पूछने लगे क्या इस दर्द भरी बीमारी से आशिक कभी आज़ाद
नहीं हो पाता है, क्या झेलना पड़ता है ये दर्द उसे अपने सीने पर या कोई मरहम
भी कोई वो लगता है??
हमने उसे अपने करीब बुलाया और
बड़े ही प्यार से समझाया, है तो ये बीमारी यधपि लाइलाज़ किन्तु अपनी ही
आत्मशक्ति से व्यक्ति पा सकता है इससे मुक्ति और कर सकता है खुद पर और
अपने परिवार पर उपकार और बन सकता है एक दम तंदुरुस्त पा कर इस बीमारी से
निज़ात,
फिर उन्होंने पूछा किन्तु कैसे????
हमने
उन्हें बताया, भूल कर अतीत कि बातो यदि बढ़ते रहो आगे, खेल ज़िन्दगी का समझ
कर हारी हुई एक बाज़ी मान कर बढ़ाते रहो अपने कदम हर दम निश्चित ही ये बीमारी
धीरे-धीरे दूर होगी, भूली हुई इस हारी बाज़ी के बाद एक दिन निश्चित ही
तुम्हारी जीत होगी,
ये माना मुश्किल इस दिल को समझाना, ये
माना मुश्किल है उसे भूल जाना, शराब के नशे से भी गहरा है ये इश्क का नशा,
दिल टूट कर बिखर जाता है हरज़ाई के जाने पर लेकिन नशा ये कम्बख्त नहीं जाता
उसकी यादों के साथ हर घडी हर लम्हा डुबाये रहता है, ख़त्म हो जाती है शराब
भी कभी बोतल से पर ये इश्क का नशा नहीं जाता कम्भख्त आशिक कि बेवफाई से,
टूटे
हुए दिल के टुकड़ो को जोड़ कर जो फिर से जीने को उठ खड़ा हो वो ही इस बीमारी
को दे सकता है मात और बन सकता है एक बिसात इस बीमारी के मारों के लिए, जो
चाहते है मरना अपने आशिक के गम में देख ऐसे जीने को मिलेगी उन्हें भी आगे
बिन उन बेवफा आशिक के जीने की प्रेरणा, वो भी शायद जीना चाहे जो बिन आशिक
के मौत को है गले लगाना चाहे,
है इस बीमारी का इलाज़
खुद मानव के पास, और जो नहीं कर सकते ऐसा वो लगा लेते है मौत को गले और
भूल जाते उस बेवफा आशिक के लिए अपने घर परिवार को जिनके झांव के तले अब है
वो पले. कुछ दिनों के इस झूठे प्रेम के खातिर बरसों का वो प्रेम भूल जाते
हैं, इश्क के इस वायरस के काटने के कारण अपने के उस दुलार को भूल जाते हैं,
माँ कि ममता नहीं दिखती उन्हें पिता का दुलार नहीं भाता है भाई के डांट में
छिपा उसका प्यार भी नज़र नहीं आता है बहन बोली नहीं भाति है जब उस बेवफा
आशिक याद है उन्हें आती,
ये इश्क का वायरस है यारो ,
ये इश्क का वायरस है यारो ,
इसके
बाद हमने उनसे कहा ऐ दोस्त जो नहीं लगाते गले मौत को अपने परिवार के लिए
लेकिन यादों में खोये रहते है हर वक्त उस बेवफा प्यार के लिए ऐसे लोगों कि
दशा बड़ी ही चिंतनीय होती है, ऐसे लोग ही अक्सर कहते है ये इश्क का वायरस है
जिसमे ज़िन्दगी चाहते है हम पर मौत भी नहीं मिलती है क्योंकि ये इश्क का
वायरस है यारो ये इश्क का वायरस है यारों....
धन्यवाद
अर्चू
Sunday, 23 March 2014
जुबाँ पे नाम
"इस
जुबाँ पे नाम तेरा आज भी है, तू नही है इस जहाँ मेँ पर तेरी याद यहाँ आज भी
है, गम-ए-जुदाई भी भुला न सकी जिसे वो मीठी खुशी इस दिल मेँ आज भी है"
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