Saturday, 17 December 2016

meri shayri

1-:"Ye jeevan tere bin kitna tanha hai,
Ye to bata 'khushi' tu kaha hai,
'Meethi' ne dhunda bahut tujhe,
Dekh mudke jara bin tere ye suna zaha hai"

2-: "tod kar dil ye mera khushi mujhse ruth gayi,
Bhula ke har rishta meethi bhi mujhse dur gayi
Khata ek mohabbat ke siwa kari kya thi maine
Tanha kar 'meethi-khushi' mujhe aaj bhul gayi"

3-:"kaun kahta hai tum nahi ho kahi nahi ho
Kaun kahta hai 'khushi' ko tum bhul gayi ho
In fizao mein 'meethi' sugandh hai tumhari
Har in nazare mein basi tum yahi ho yahi ho"

4-:"har khwaab mein tum hi the mere
Jeevan ke raaz mein tum hi the mere
'Meethi-Khushi' chalkti thi kabhi yaha
Kyonki saath ab talak tum hi the mere"

Friday, 16 December 2016

कवता-मैं बदलने लगी हूँ

"अकेले मैं दिन-रात मुस्कुराने लगी हूँ
शायद ये सच है मैं बदलने लगी हूँ

जीने की चाहत फिर जागी है मुझमें
शायद फिर दुनियॉ जीतने चली हूँ

बहुत बहाये अश्क इस महफिल मैं
सुखा हर अश्क आगे बड़ने लगी हूँ

कर दिखाऊगी वो सब जो न किया
खुद से यही बस अब कहने लगी हूँ

नही हूँ यहॉ मैं तन्हा और अकेली
खुद मैं ही ये अब बड़बड़ाने लगी हूँ

बेबस समझ जो छिपती थी जमानेसे
आज़ दुनियॉ से नज़रें मलाने लगी हूँ

टूट कर बिखर गयी थी कभी मैं यहॉ
आज़ फिर एक बार सम्भलने लगी हूँ

अकेले मैं दिन-रात मुस्कुराने लगी हूँ
शायद ये सच है मैं बदलने लगी हूँ-२"

Wednesday, 14 December 2016

कविता-संग तेरे चली आयी

"छोड़ के वो दुनिया संग तेरे चली आयी,
तूने जो पुकारा मुझे मैं तेरी गली आयी-२

रहना अब संग तेरे चाहे तु कुछ भी कहले,
पास आ कर तेरे मैने तो ये प्रीत निभायी

तोड़ के हर बन्धन छोड़ के हर सम्बन्ध

आ कर युं बाहों मैं तेरे ये कली मुस्कुराई

'खुशी' की हर बात हो या गम की बरसात 

साथ तेरे 'मीठी-खुशी' है अब दिलमें छायी

नही रहना ना है जीना ऐ मेरे हमदम बिन तेरे

तड़पता ना छोड़ जाना तुझे इश्क की दुहायी

बहुत रोई है 'मीठी' मोहब्बत मैं ठोकर खाकर

'खुशी' साथ पा कर तेरा आज़ मैने भी है पायी

मिली हर बार दगा वफा के बदले इश्क मैं मुझे

एक तू ही है जिसने की मुझसे हर पल वफायी

ये वादा कर अब तू मुझसे दिलमे रहेगा पल पल
भले न बजी हो  यहॉ अपने मिलन की शहनायी

तोड़ दुनिया की रस्मो रिवाज़ गिरा हर दीवार

थाम कर हाथ तेरा साथ तेरे मैं तो चली आयी

छोंड़ के वो दुनिया संग तेरे चली आयी,

तूने जो पुकारा मुझे मैं तेरी गली आयी-२"

ईश्वर वाणी-१७०, मैने ही तुम्हे निम्न कार्यों के लिये चुना है

ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यों जो मेरे वचन सुनता है, उनका पालन करता है वो भीड़ मैं से मेरे द्वारा चुना गया है, यध्यपि तुम मुझे किसी भी रूप व नाम मैं मानते अथवा जानते होगे किंतु तुम्हारा मुझपर विश्वास मेरे ही द्वारा चुने तुम्हें जाने पर उत्पन्न हुआ है,

शैतान अर्थात बुराई तुम पर हावी होने लगती है, तुम्हें अनेक कष्ट व यातनायें मिलती हैं (हालाकी पिछले जन्मों के कारण वो मिलना स्वाभाविक है) ताकी तुम मुझपर से विश्वास खो कर शैतान अर्थात बुराई का मार्ग अपनाओ,

हे मनुष्यों जे मानव शैतान की परीक्छा मैं उत्तीर्ण हो मुझसे मुह नही फेरते वे मेरे द्वारा चुने लोग हैं किंतु जो लोग इस परिक्छा मैं घबराकर शैतान को चुनते है वह शैतान द्वारा ही चुने होते है,

किंतु ये भी सत्य है मेरा अर्थात ईश्वर का दूसरा रूप ही शैतान अथवा बुराई है किंतु मैं सदैव अपने ईश्वरीय नेक स्वरूप को ही तुम्हें चुनने को कहता हूँ, मैं नही चाहता कोई भी मेरे उस स्वरूप को अपनाये, किंतु एक सत्य ये भी है बिना बुराई के किसी भी व्यक्ति को अच्छाई का महत्व पता नही चल सकता इसलिये अच्छाई और बुराई अथवा ईश्वर और शैतान दोनो ही एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, कौन किस पहलू को चुन परमधाम मैं अथवा नरक मै जायेगा ये तय पहले ही चुका है,

हे मनुष्यों जो मेरी वाणी पर यकीन नही करेगा वह शैतान द्वारा चुना गया है और अंतत: नरक को प्रप्त होगा क्यौंकी उसने ईश्वर की बात पर असहमती जताई किंतु जो सहमत तो है लेकिन उनका पालन नही करते वह भी नरक ही भोगेंगे, किंतु जो मेरी वाणी सुनते एवं पालन करते है वह ही परधाम पहुँचेंगे,

हे मनुष्यों मेरी वाणी सभी के लिये है, तुममे से जाने कितने मुझ पर यकीं नही करेंगे, कुछ करेंगे पर पालन नही करेंगे और उनमेसे ही कुछ ऐसे होंगे जो मेरे वचन मेरी वाणी ध्यान से न सिर्फ सुनेंगे अथवा औंरों को भी इसे सुनने पालन करने की प्रेरर्णा देंगे, वो सब चुने जा चुक् है,

हे मनुष्यों ये मत सोचना तुमने मुझे चुना है, तुमने निम्न कार्य चुना है क्यौंकि तुम्हें और निम्न कार्यों हेतु तुम्हें चुना जा चुका है "

कल्याण हो

गीत- तुझे क्या बताऊँ

"तुझे क्या बताऊँ ऐ मेरे हमदम
किया है कितना प्यार तुझसे हरदम

भले तुझे फिकर नही मेरे जज्बात की
ना ही कदर की मेरी किसी बात की

है तेरी याद मैं आज भी ये अॉखे नम
किया है कितना प्यार तुझसे हरदम

बेवफाई पर तेरी रोते हैं दिन रात हम
क्योंं नसीब ने दिया मुझे बेवफा सनम

पर शिकवा नही किसी से कोई
ना ही कोई मुझे गिला है

वफा के बदले मिली बेवफाई
इन लकीरों मैं ही ये लिखा है

दिल तोड़ने वाले ने ही तोड़ी हर कसम
जान भी उसीने ली जिसे कहा जानम

उसे है पता बिन उसके मुझमैं कहॉ दम
आज वो नही पास मेरे तभी हाथ मैं है रम

काश लौट आ फिर मेरी बाहों मै जिन्दगी
भुला दुँगा तेरी  हर एक खता जो तूने की
तेरे बिन हूँ कितना तन्हा सुन मेरी शबनम


तुझे क्या बताऊँ ऐ मेरे हमदम
किया है कितना प्यार तुझसे हरदम

तुझे क्या बताऊँ ऐ मेरे हमदम
किया है कितना प्यार तुझसे हरदम"


Thursday, 8 December 2016

कविता-दौड़ा चला आया

सारे बंधन तोड़ आया, दुनिया से मुह मोड़ आया
आया मैं आया तेरे पास दौड़ा चला आया,

तुझको ही मैंने अपना माना, सबको किया बेगाना,
हर रिश्ता छोड़ मै तेरे पास दौड़ा चला आया

जादू तेरे हुस्न का मुझपे कुछ ऐसे चला
भूला हर नाता और तेरे पास दौड़ा चला आया

मासूम तेरी अदा किया जिसने तुझे सबसे जुदा
तुझपे हो फिदा मैं तेरे पास दौड़ा चला आया

'मीठी' मुस्कान लबों पर तेरी करती दीवाना मुझे
'खुशी' के साथ मै पास तेरे दौड़ा चला आया

रोका बहुत मुझे जमाने ने, लिया बहुत हर्जाने मैं
दे अपनी जिंदगी मैं पास तेरे दौंड़ा चला आया

मिले जख्म नज़राने मैं, गम ही थे मेरे खज़ाने मै
लुटा वही खजा़ना मै पास तेरे दौंड़ा चला आया

सारे बंधन तोड़ आया, दुनिया से मुह मोड़ आया
आया मैं आया तेरे पास दौड़ा चला आया,

कविता-हवाओं मैं हो तुम

"इन  हवाऔं मैं हो  तुम,
इन  घटाऔं  मैं  हो  तुम
है   ये  अहसास  तुम्हारा
इन  फिज़ाऔं  मैं हो तुम,

मेरी  हर  बात मैं हो  तुम
हर  शुरूआत  मैं हो  तुम
हो जुदा कहॉ तुम  मुझसे
इन  जज़्बात  मैं  हो  तुम,

इन चहचाहटों  मैं हो  तुम
मेरी  हर आहटों  मैं हो तुम
दूर होकर भी तुम दूर कहॉ
'खुशी' की चाहत मैं हो तुम,

चॉद  की  चॉदनी  मैं हो तुम
मेरी  हर रवानगी  मैं हो  तुम
मौत भी जुदा कैसे करे  हमें
'मीठी' दीवानगी मैं हो तुम"