Thursday 8 December 2016

कविता-हवाओं मैं हो तुम

"इन  हवाऔं मैं हो  तुम,
इन  घटाऔं  मैं  हो  तुम
है   ये  अहसास  तुम्हारा
इन  फिज़ाऔं  मैं हो तुम,

मेरी  हर  बात मैं हो  तुम
हर  शुरूआत  मैं हो  तुम
हो जुदा कहॉ तुम  मुझसे
इन  जज़्बात  मैं  हो  तुम,

इन चहचाहटों  मैं हो  तुम
मेरी  हर आहटों  मैं हो तुम
दूर होकर भी तुम दूर कहॉ
'खुशी' की चाहत मैं हो तुम,

चॉद  की  चॉदनी  मैं हो तुम
मेरी  हर रवानगी  मैं हो  तुम
मौत भी जुदा कैसे करे  हमें
'मीठी' दीवानगी मैं हो तुम"

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