Monday 5 December 2016

ईश्वर वाणी१६७, जन्मों के कर्म व जीवन

ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यों मैं तुम्हें सतयुग मैं जैसी आत्माये प्रवेश करेंगी उनके विषय मै बता चुका हूँ किंतु आज तुम्हें उन मनुष्यों के विषय मैं बताता हूँ जौ कलियुग मै घोर पाप कर्मों मैं लग कर मानव जीवन नष्ट करमद हे है, साथ ही मैं बताता हूँ उन मनुष्यों के विषय मैं जो सतयुग मैं मानव जन्म ले चुके हैं एवं आने वाले युगों मैं वो क्या भूमिका निभाते है साथ ही वह आत्मायें जो सतयुग मैं मानव रूप मैं नही थी आने वाले युग मैं क्या भूमिका निभाती हैं!!

हे मनुष्यों जो व्यक्ति सतयुग मै मानव जीवन प्राप्त कर चुके है वह ही आने वाले युग मैं सच्चे साधु, संत व सन्यासी बन जगत व प्राणी जाति के कल्याण मैं योगदान देते है (जैसे स्वामी विवेकानंद), ऐसे ही व्यक्ति अंतत: मोछ प्राप्त कर निश्चित समय बाद मुझमें ही मिल जाते है एवं जब मै फिर श्रष्टी का निर्माण कर युग प्रथा का चलन प्रारम्भ करता हूँ वे ही आत्मायें पुन: सतयुग मैं मानव जीवन पाते हैं!/

कितु जो आत्माये सतयुग मैं मानव जीवन प्राप्त नही कर पायी वह अन्य युग मैं मानव जीवन प्राप्त करते हैं, केवल यही आत्मायें ही सच्चे साधु, संत व संयासीयों का सानिध्य पा कर नेक कर्म करके सतयुग मैं अपना श्रेष्ट स्थान सुनिश्चित करते है, इनके कर्म ही उस युग क्या जीवन पायेंगे ये तय करते है!!

किंतु जो मनुष्य केवल पाप कर्म और स्वार्थ सिध्धी मैं निहित रहते हैं वह मानव जीवन के पुन्यों का नाश कर युगों तक विभिन्न जन्म प्राप्त कर दुख भोगते हैं, इन्हें मानव जीवन अपने पिछले कर्मों का प्रायश्चित कर सतयुग मैं तथा स्वर्ग मैं स्थान प्राप्त करने हेतु मिलता है किंतु इस बात को भुला कर शक्ति के मद मैं आकर अपने पुण्यों को नष्ट कर सदा जन्म जनमातंर के फेर मैं घूमते हुये दुख पाते हैं!!

किंतु प्रलय युग मै् मानव के अतिरिक्त जो भी जीव जंतु है निश्चित काल के बाद मानव जीवन मै प्रवेश पायेगे, और जो आज मानव है अपने बुरे कर्मो के अनुसार अन्य जीव जंतु का जीवन पायेंगे!!

हे मनुष्यों यु तो सारी श्रष्टी और सभी जीवों को जीवन मैं ही देता हूँ इसलिय कोई कम या अधिक मेरे समछ नही जैसे  तुम्हारी संतान जो बहुत तेज तर्रार है तो दुसरी मंद बुध्धी किंतु जब प्रेम की बात आती रै तो तुम दोनों से समान करते हो लेकिन मंद बुध्धी बालक के साथ अधिक समय बिताते हो क्यौकि उसे तुम्हारी आवश्यकता अधिक होती है,

वैसे ही मैं तुम्हारे साथ तब हूँ जब तुम मुझे पुकारते हो किंतु पशु-पछियों के साथ सदा हूँ, किंतु मनुष्यों तुम्हें मैने जगत व इन प्राणियों के कल्याण हेतु भेजा है ताकि मेरी बनायी रचना की उचित देख रेख कर तुम खुद भी उध्धार पाओ!!"

कल्याण हो


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