Wednesday 14 December 2016

ईश्वर वाणी-१७०, मैने ही तुम्हे निम्न कार्यों के लिये चुना है

ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यों जो मेरे वचन सुनता है, उनका पालन करता है वो भीड़ मैं से मेरे द्वारा चुना गया है, यध्यपि तुम मुझे किसी भी रूप व नाम मैं मानते अथवा जानते होगे किंतु तुम्हारा मुझपर विश्वास मेरे ही द्वारा चुने तुम्हें जाने पर उत्पन्न हुआ है,

शैतान अर्थात बुराई तुम पर हावी होने लगती है, तुम्हें अनेक कष्ट व यातनायें मिलती हैं (हालाकी पिछले जन्मों के कारण वो मिलना स्वाभाविक है) ताकी तुम मुझपर से विश्वास खो कर शैतान अर्थात बुराई का मार्ग अपनाओ,

हे मनुष्यों जे मानव शैतान की परीक्छा मैं उत्तीर्ण हो मुझसे मुह नही फेरते वे मेरे द्वारा चुने लोग हैं किंतु जो लोग इस परिक्छा मैं घबराकर शैतान को चुनते है वह शैतान द्वारा ही चुने होते है,

किंतु ये भी सत्य है मेरा अर्थात ईश्वर का दूसरा रूप ही शैतान अथवा बुराई है किंतु मैं सदैव अपने ईश्वरीय नेक स्वरूप को ही तुम्हें चुनने को कहता हूँ, मैं नही चाहता कोई भी मेरे उस स्वरूप को अपनाये, किंतु एक सत्य ये भी है बिना बुराई के किसी भी व्यक्ति को अच्छाई का महत्व पता नही चल सकता इसलिये अच्छाई और बुराई अथवा ईश्वर और शैतान दोनो ही एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, कौन किस पहलू को चुन परमधाम मैं अथवा नरक मै जायेगा ये तय पहले ही चुका है,

हे मनुष्यों जो मेरी वाणी पर यकीन नही करेगा वह शैतान द्वारा चुना गया है और अंतत: नरक को प्रप्त होगा क्यौंकी उसने ईश्वर की बात पर असहमती जताई किंतु जो सहमत तो है लेकिन उनका पालन नही करते वह भी नरक ही भोगेंगे, किंतु जो मेरी वाणी सुनते एवं पालन करते है वह ही परधाम पहुँचेंगे,

हे मनुष्यों मेरी वाणी सभी के लिये है, तुममे से जाने कितने मुझ पर यकीं नही करेंगे, कुछ करेंगे पर पालन नही करेंगे और उनमेसे ही कुछ ऐसे होंगे जो मेरे वचन मेरी वाणी ध्यान से न सिर्फ सुनेंगे अथवा औंरों को भी इसे सुनने पालन करने की प्रेरर्णा देंगे, वो सब चुने जा चुक् है,

हे मनुष्यों ये मत सोचना तुमने मुझे चुना है, तुमने निम्न कार्य चुना है क्यौंकि तुम्हें और निम्न कार्यों हेतु तुम्हें चुना जा चुका है "

कल्याण हो

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