Thursday 8 December 2016

कविता-दौड़ा चला आया

सारे बंधन तोड़ आया, दुनिया से मुह मोड़ आया
आया मैं आया तेरे पास दौड़ा चला आया,

तुझको ही मैंने अपना माना, सबको किया बेगाना,
हर रिश्ता छोड़ मै तेरे पास दौड़ा चला आया

जादू तेरे हुस्न का मुझपे कुछ ऐसे चला
भूला हर नाता और तेरे पास दौड़ा चला आया

मासूम तेरी अदा किया जिसने तुझे सबसे जुदा
तुझपे हो फिदा मैं तेरे पास दौड़ा चला आया

'मीठी' मुस्कान लबों पर तेरी करती दीवाना मुझे
'खुशी' के साथ मै पास तेरे दौड़ा चला आया

रोका बहुत मुझे जमाने ने, लिया बहुत हर्जाने मैं
दे अपनी जिंदगी मैं पास तेरे दौंड़ा चला आया

मिले जख्म नज़राने मैं, गम ही थे मेरे खज़ाने मै
लुटा वही खजा़ना मै पास तेरे दौंड़ा चला आया

सारे बंधन तोड़ आया, दुनिया से मुह मोड़ आया
आया मैं आया तेरे पास दौड़ा चला आया,

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