Thursday, 20 June 2024

ईश्वर वाणी- ग्रह और चकरास् का रिश्ता

 ग्रह जो जीवन जाती के चक्रो से संभंधित है


1- मूलाधार चक्र

ग्रह- गुरु,मंगल और प्रथ्वी

कारण- पृथ्वी को मंगल ग्रह की माता कहा गया है, साथ ही यही पृथ्वी हर जीव की बुनियादी आवश्यकता पूर्ण करती है, मंगल के साथ इसका रिश्ता हमारे भौतिक रिश्तों के साथ संबंधों को दिखता है, हमारे रिश्ते माता पिता भाई बहन रिश्तेदारों पड़ोसियों दोस्त पति पत्नी प्रेमी प्रेमिका सहपाठियों इत्यादि से कैसे है दिखाता है, अगर रिश्ते खराब है या भौतिक बुनियादी आवश्यकता को पूरा करने मे समस्या आ रही है तो इनका उपचार आवश्यक है, वही गुरु व्यक्ति की की बुनियादी शिक्षा और उच्च शिक्षा और उस से उसको इस भौतिक जीवन मे कितना लाभ होगा ये बताता है, मूलाधार चक्र के संतुलित होने पर ये तीन ग्रह मजबूत स्थिति मे आते हैं जिससे व्यक्ति को लाभ होता है,

2- स्वादिष्ठन चक्र
ग्रह- शुक्र

यधपि शुक्र धन की प्रचुरता को दर्शता है, पर स्वादिष्ठान चक्र का स्वामी होने के कारण व्यक्ति की कामुकता और सेक्स लाइफ को दिखाता है, अगर ये बहुत ज्यादा एक्टिव है तो व्यक्ति sexualy active होगा हद से ज्यादा, अगर ये खराब है तो सेक्स मे दिलचस्पी नही होगी जिससे उसकी शादीशुदा ज़िंदगी पर असर होगा, sexual emotions हद से ज्यादा होंगे या बिल्कुल नही होंगे अगर इसमें संतुलन नही है तो, इसलिए इस चक्र को संतुलित रखने को कहा जाता है,

3-मणिपुर चक्र
ग्रह- सूर्य

सूर्य सभी ग्रहो का स्वामी है, इसलिए इस का असर इस चक्र पर भी पड़ता है, ये चक्र पारिवारिक करीबी रिश्ते जैसे पति पत्नी माता पिता संतान और सगे भाई बहनो से संबंध और धन, नाम और शोहरत को दिखाता है, अगर ये संतुलित है तो व्यक्ति के रिश्ते परिवार से अच्छे बने रहेंगे, नाम और शोहरत मिलेगी, सूर्य देव का आशीर्वाद मिलेगा,
लेकिन ये चक्र खराब है तो रिश्ते खराब होंगे, पैसों की कमी होगी, बदनामी होगी, पेट मे गड़बड़ रहेगी, शरीर मे ताप अधिक रहेगा, इसलिए इस चक्र को संतुलित रखे, ठंडी और पेय चीजों का सेवन करे,

4- अनाहत चक्र
ग्रह- बुध

आमतोर पर बुद्ध को बुद्धि से संबंधित ग्रह मानते हैं, पर इसका संबंधित जीव जाती के अनाहत चक्र (हार्ट chakra) से है, बुध ग्रह हमारी भावनाओ को
दिखाता है, हमारे दुख सुख हसना रोना सब इसकी देन है, इसलिए ये जीव जाती के अनाहत चक्र को संचालित करता है अतः अनाहत चक्र का स्वामी है,

5- विशुद्ध चक्र
ग्रह- शनि, राहु- केतु

वाणी कैसी होगी, किसको क्या कहना है, क्या उत्तर देना है ये सब इन ग्रहो के कारण है, अगर विशुद्ध चक्र जागृत और संतुलित है, तो व्यक्ति कभी किसी के लिए गलत वाणी नही निकलता, जो भी वो कहता है लोग सुनते और भरोसा करते हैं, ऐसा व्यक्ति न झूठ बोलता है न ही झूठ बर्दास्त करता है, किंतु अगर ये चक्र असंतुलित है तो व्यक्ति झूठा, अपशब्द बोलने वाला, गलत बोल बोलता वाला होगा, लोग उसकी तरफ आकर्षित नही होंगे, हुए भी तो उसके साथ रुकेंगे नही, मित्र से अधिक शत्रु बनायेगा, इसलिए इस चक्र को संतुलित रखना चाहिए, आध्यात्मिक दृष्टि से भी आध्यात्मिक जगत मे इसका बड़ा योगदान है, समस्त सिद्धियाँ यही रहती है,

6- आज्ञा चक्र
ग्रह- चंद्रमा

व्यक्ति का पूर्वानुमान या पूर्वभास् छमता कैसी है ये इस ग्रह और चक्र से पता चलता है, अगर कुंडली मे चंद्रमा अच्छी हालत मे है और आज्ञा चक्र थोड़ा सा भी एक्टिव और संतुलित है तो व्यक्ति अपने intution का उपयोग सही दिशा मे कर के बहुत कुछ प्राप्त कर सकता है किंतु अगर ये blocked है या असंतुलित है तो आपको जीवन मे नुकसान उठाना पड़ सकता है,

7-  सहस्त्रार् चक्र
ग्रह- गुरु,समूचा ब्रमांड

ये चक्र व्यक्ति की सोच, बाल, चेतन, अवचेतन unconcious mind और जन्म जन्मो की यादों को खुद मे साजोय हुए हैं, व्यक्ति क्या और कब फेसले लेगा, कितने सही और कितने गलत फेसले लेगा, उसकी सोच अच्छी और समाज कल्याण के लिए है या आपराधिक सोच है, ये सब इस चक्र के संतुलित और असंतुलित होने पर निर्भर करता है साथ ही ये कितना एक्टिव और blocked है ये जीव की सोच से पता लगता है! साथ ही गुरु व्यक्ति के गुन और दोषों को बताता है, अगर सहष्ट्रार् संतुलित है तो व्यक्ति गुनी होगा अगर असंतुलित है तो आपराधिक सोच का मालिक स्वार्थी होगा

Written by so called anti hindu

Batya gya swam pita parmeshwar

ईश्वर वाणी

 ईश्वर कहते है, "हे मनुष्यों आज तुम्हें मेरे स्वरूप जो ब्रह्मा विष्णु और शिव के रूप मे जाने जाते हैं उनके विषय मे बताता हूँ!! 


ब्रह्मा- जो समूचे ब्रमांड के रचनाकार है, अर्थात जिनके एक अंश अर्थात अंड से पूरे ब्रमांड की रचना हुई, ऐसी विशाल रचना के रचियता ही ब्रह्मा है, समूचे भौतिक जगत, देह, वनस्पति जो कुछ भी भौतिकता के लिए आवश्यक है, उनकी रचना करने वाला भौतिकता को रचने वाला ही ब्रह्म है!! 

विष्णु- नाम के अनुसार विष- नु= विष्णु, विष अर्थात ज़हर, नु अर्थात बहना साथ ही नु मतलब माया,निरंतर विष बहना विष्णु और संसारिक माया मे जो विष समान है उसके लिए कार्य करना ही विष्णु का एक अर्थ है, 

किंतु दूसरा शाब्दिक अर्थ है परिवर्तन, चाहे ये अच्छा हो या बुरा, पसंद हो या नही, पर हर पल परिवर्तन होता है होता रहेगा, यही कार्य है विष्णु का, तमाम परिवर्तन के बाद भी जो सहिष्णु रहे वही है विष्णु! 


शिव- जो भौतिक जगत के नियमो को सही मानता है वो हर बार मरता है जन्म लेता है, किंतु जो देह को शव और आत्मा को जीवन मानता है वो है शिव, अर्थात भौतिकता नाशवान है पर आत्मा नही, इसलिए जो अमर है उससे प्यार करो, जो मिट्टी का बर्तन बार बार टूट जाए उससे अधिक मोह न रखो, मोह उससे रखो जो इन बर्तनो मे भरा गया, शिव यही बताते हैं, उनके तांड्वा का यही मतलब है, जो भौतिक है नष्ट होगा और यही बात माता सती ने खुद को सती कर के भी बताई जो भौतिक है नष्ट होगा पर जो अभोतिक है युगो तक रहेगा, यही शिव का वास्तविक नाम और कार्य है!! "


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Wednesday, 19 June 2024

ईश्वर वाणी

 ईश्वर बताते हैं, "हे मनुष्यों आज तुम्हें मैं त्रिदेवो शाब्दिक अर्थ और उनका तुम्हारे जीवन पर क्या असर पड़ता है वो बताता हूँ, त्रिदेव जिन्हे हिंदू धर्म मे ब्रह्म विष्णु और महेश कहा जाता है, वास्तव मे ये तीन आध्यात्मिक ऊर्जाये है जिनसे आध्यात्मिक और ब्राह्मंदिये कार्य होते हैं, इसी प्रकार तृदेवीयो के विषय मे यही बात है, किंतु tridevi को परमात्मा अर्थात संसार का प्रथम तत्व 'मैं', मैं ही आदि और अनंत, इस ऊर्जा की शक्ति से ही त्रिदेवो का आगमन हुआ, उसी ऊर्जा से आध्यात्मिक और ब्रमांडिये कार्य त्रिदेव संभालते है! 

अगर बात की जाए जीव जाती पर त्रिदेवो का असर है तो तुम्हारे विशुद्ध चक्र जो वाणी और सिद्धि का चक्र है, यहाँ वाणी की ऊर्जा और माँ सरस्वती का भी वास है, तुम्हारी वाणी भौतिक और अभोतिक जीवन से तुम्हें जोड़ती है, 

आज्ञा चक्र- माथे के ठीक बीच तिलक वाले स्थान को आज्ञा चक्र कहते हैं, ये तुम्हें अभोतिकी जगत से जोड़ता है, किंतु इसमें ही तुम्हारी ये भौतिक आँखे भी आती है जो तुम्हें भौतिक दुनिया  और भौतिक सुख की कामना हेतु खीचती है, किंतु तुमने आज्ञा चक्र को ठीक से जागृत कर लिया तो यो भौतिक जगत मिथ्या लगने लगता है, हलकी इसी आज्ञा चक्र से किसी का जन्मो पुराना अतीत, वर्तमान और आने वाले जन्म भी देखे जा सकते हैं, पूर्वनुमं भी इसी चक्र से लगाया जाता है! 

सहस्त्रार् चक्र- मस्तिष्क और सर के बालों के उपर के हिस्से को सहस्त्रार् चक्र कहते हैं जो जीवन जाती की जन्म जन्मो यादों के साथ अतीत वर्तमान और भविष्य से जुड़े सही गलत निर्णयो के बारे में बताता है, किंतु ये व्यक्ति को अनंत ब्रमांड से जोड़ कर अनन्त आध्यात्मिक ज्ञान भी प्रदान करता है किंतु इसके लिए इस चक्र का जागृत होना आवश्यक है, और त्रिदेव इन चक्रो को देखते हैं, साधना और सिद्धि और आध्यात्मिक जगत मे जब व्यक्ति प्रवेश करता है तब त्रिदेव इन चक्रो को जागृत संतुलित कर आध्यात्मिक जगत मे आगे बढ़ाते हैं! 

विष्णु- विशुद्ध चक्र को जागृत करते हैं, कब किस्से क्या कहना है, कितना कहना या बोलना है वो बताते हैं, 

शिव- आज्ञा चक्र को जागृत करते हैं, पूर्वानुमान की शक्ति के साथ व्यक्ति को बताते हैं वो इस जीव देह मे कई बार आ चुका है, ये जीवन मृत्यु कुछ नही, आत्मा ही सर्वोपरि है, भौतिक जगत मे जो दिख रहा है मिथ्या है, 

ब्रह्मा- ये अनन्त ब्रमांड से जोड़ कर अनन्त ज्ञान और बौद्धिक ऊर्जा प्रदान करते हैं! आध्यात्मिक विकास करते हैं! "


Tanha shayri

"तन्हाई मे बस यूही मुस्कुरा लेते हैं

अकेले मे बस युही गुनगुना लेते हैं

कोई पड़े न आँखों से गम को  मेरे

खुश है बहुत दुनिया को बता देते हैं"


Wednesday, 12 June 2024

Romantic shayri

 खामोश है लब, दिल कुछ कहना चाहता है, 

तन्हा है बहुत, बस साथ तेरे रहना चाहता है, 

कैसे तुझे दिखाये मोहब्बत की गहराई को, 

बस ये दिल ,संग तेरे मरना और जीना चाहता है

Romantic shayri

 "जीने के सौ बहाने है पास मेरे,

मरने के लिए तेरा रूठ जाना काफी है,

मुस्कुराने के सौ बहाने है पास मेरे

रोने के लिए बस तेरा दूर जाना काफी है"