Sunday 18 November 2012

ना जाने किस भूल की मिली है सज़ा मुझे


 
ना जाने किस भूल की मिली है सज़ा मुझे,
 मैने तो सिर्फ़ प्यार के सिवा ना माँगा था कुछ उनसे, 

मैने तो साथ के सिवा ना चाहा था कुछ उनसे ,
 देदी थी  उन्हे  अपनी हर खुशी पर ना चाहा

 था  कुछ उनसे अपने लिए, शायद वफ़ा-ए-इश्क की ही 
मिली सज़ा है मुझे , जिससे किया इकरार जो मैने 

उसी  ने निकल दियाज़िंदगी से अपनी मुझे , 
आज बीच मझधार में तन्हा मुझे छोड़ खुश है 

 खुश है वो अपनी बाहों में हाथ किसी और का थामे हुए
वो अपनी बाहों में हाथ किसी और का थामे हुए ..














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