Saturday 20 April 2013

ईश्वर वाणी-33 **Ishwar Vaani**-33**ईश्वर कहते हैं हमे अपने शरीर की सुन्दरता और स्वचाता की अपेक्षा अपनी आत्मा और अपने ह्रदय की सुन्दरता और स्वछता पर ध्यान देना चाहिए**



ईश्वर कहते हैं हमे अपने शरीर की सुन्दरता और स्वचाता की अपेक्षा अपनी आत्मा और अपने ह्रदय की सुन्दरता और स्वछता पर ध्यान देना चाहिए, प्रभु कहते हैं ये जो भोतिक है जो नाशवान है हमे इससे मोह नहीं रखना चाहिए, यदि मोह रखना है तो अपनी आत्मा का रखो क्यों की भविष्य में एक दिन एक भोतिक शरीर तुम्हारा साथ छोड़ देगा किन्तु तुम्हारी आत्मा है तुम्हारे कर्मों अनुसार उस परमेश्वर से तुम्हारा साक्षात्कार कराएगी, इसलिए हे मनुष्यों जितना समय तुम अपने शरीर को सुन्दर और स्वाच्या बनाने में लगा रहे हो उसका एक तिहाई भी अगर अपने ह्रदय और अपनी आत्मा की शुध्ही में लगाओ तो तुम्हे तुम्हारे पापो के लिए उस परमेश्वर द्वारा छमा मिल सकती है जिससे तुम्हारा ये मानव जीवन सार्थक हो सकता है और तुम्हे अनन्य मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है, इसलिए हे मनुष्यों अपने भोतिक शरीर का मोह त्याग और अपने झूठे अभिमान को त्याग और परमेश्वर के द्वारा बताये गए मार्ग पर चल, अगर मानव ने इश्वरिये मार्ग न अपनाया तो ईश्वर को भी अपना भयानक रूप दिखाना होगा, प्रभु कहते हैं अगर उन्होंने अपना विकराल रूप दिखा दिया तो वो दिन इस समस्त धरा का अंतिम समय होगा, प्रभु कहते हैं हे मनुष्यों तुम मुझे मजबूर मत करो की अपने द्वारा बनायीं गयी इस दुनिया को मैं खुद ही समय से पहले इससे नष्ट कर दू, इसलिए हे मनुष्यों सुधर जाओ क्यों की अभी भी समय है तुम्हारे पास सुधरने का पर आने वाले समय में तुम्हे ये अवसर भी प्राप्त न होगा और तुम्हारे पास केवल पछताने के अतिरक्त और कुछ न बचेगा ! 

 थैंक्स एंड ग्रेट रेगार्ड्स
                                                                                                    अर्चु 



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