Saturday 5 April 2014

तुम ही हो-कविता

तुम ही हो ज़िन्दगी मेरी, तुम ही हो हर खुशी मेरी,
  तुम ही रास्ता हो मेरा, तुम ही मंज़िल हो मेरी,
  तुम ही सहारा हो मेरा, तुम ही तकदीर हो मेरी,
  मेरे दिलबर ना छोड़ जाना तुम मुझे अकेला तुम बिन कुछ भी नहीं है ये ज़िन्दगी मेरी,
तुम ही तो हो जीने कि वज़ह मेरी, तुम ही तो हो इस सूने जीवन कि आखिरी आस मेरी, 
 तुम ही हो मेरे धड़कते इस दिल कि धड़कन मेरी, तुम ही हो इस ज़िन्दगी कि आखिरी सांस मेरी,
 तुम ही तो हर उम्मीद मेरी, तुम ही हो बंदगी मेरी,
तुम ही हो ज़िन्दगी मेरी, तुम ही हर ख़ुशी मेरी,
 तुम ही हो ज़िन्दगी मेरी, तुम ही हो हर ख़ुशी मेरी.... 

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