Monday 21 April 2014

ईश्वर वाणी(मोक्ष)-55

ईश्वर कहते हैं हमे ये मानव रूप केवल मोक्ष प्राप्ति के लिए ही मिला है, हमे अपने  रूप और मानव छमता का गलत उपयोग ना करते हुए केवल ईश्वर द्वारा बताये गए मार्ग पर चलते हुए मोक्ष प्राप्ति हेतु अग्रसर रहना चाहिए,


ईश्वर कहते हैं उन्हें देश/काल/परिष्तिथियों अनुसार अनेक स्थानो पर मानव रूप में जन्म लिया एवं अपने सबसे प्रिये शिष्यों को मानवो के बीच भेजा ताकि मानव जाती में उत्पन्न बुराइयों का अंत हो सके, कित्नु मानव अपनी बौद्धिकता और शारीरिक बल से ईश्वर द्वारा बताये गए मार्ग से भटक कर पाप का मार्ग अपना रहा है, आज दुनिया में खुद को ईश्वर का खुद को परम भक्त कहने वाला प्रतेक व्यक्ति महज़ दिखावा कर रहा है, ईश्वर द्वारा कही गयी मौलिक बातों को भूल कर केवल समस्त जगत एवं प्राणी जगत का अहित कर रहा है,



ईश्वर कहते हैं उन्होंने कई उपदेशों में कहा है की हमे ये जीवन केवल एक बार ही मिलता है, इसका अभिप्राय है की केवल मानव जीवन ही हमे कई युगों और कई परोपकारो के बाद प्राप्त होता है ताकि हम अपना उद्धार कर सके और मोक्ष को प्राप्त हो सके,


ईश्वर कहते हैं यु तो प्राणी जन्म-मरण के भवर जाल में निरंतर फसा रहता है किन्तु उसके अपने कर्मों अनुसार उसे मानव जीवन प्राप्त होता है ताकि वो सत्कर्म कर ईश्वरीय मार्ग का अनुसरण कर मोक्ष को प्राप्त कर जन्म-मरण के भवर जाल से मुक्ति प्राप्त कर सके, किन्तु आज मानव अपने मूल कर्तव्यों को भुला बैठा है, धरती पर हर तरफ त्राहि-त्राहि फैली हुई है, यदि ऐसा मानव  निरंतर जारी रखा तो एक दिन ईश्वर मानव से उसका सब कुछ छीन लेंगे, श्रिष्टि का विनास कर फिर से एक नयी श्रष्टि का निर्माण करेंगे,


ईश्वर कहते हैं यदि उन्होंने श्रष्टि का विनास किया तो इसका उत्तरदायी केवल मानव होगा, ईश्वर कहते हैं अभी भी वक्त है की मानव अपने आप में सुधार कर समस्त श्रष्टि को नष्ट होने से बचा ले, ईश्वर कहते हैं यदि उन्होंने समस्त श्रष्टि को नष्ट कर नयी श्रष्टि का निर्माण किया तो इस समय जितने भी मानव दुनिया में है उन्हें कठोर पीड़ा छेलनी पड़ेगी, और इसका उत्तरदायी खुद मानव होगा, इसलिए हे मानव सुधर जाओ और मेरे द्वारा बताये गए मार्ग पर चलो ताकि मुझे क्रोध ना आये और मैं इस श्रष्टि का विनास न करू, हे मानवो मैं दुनिया बनाने वाला और उसे बिगाड़ने वाला हूँ, मैं ही तुम्हे जन्म देने वाला, पालने वाला और संहारक हूँ, तुम ही मुझसे निकल कर श्रष्टि में प्राणी रूप में आते हो और अंत में मुझमे ही समां जाते हो किन्तु इस बीच तुम्हे मैं बुद्धि छमता और साधन देता हूँ ताकि तुम मेरे बताये मार्ग का अनुसरण कर मेरे द्वारा बताये गए कार्य में सहयोग कर मोक्ष प्राप्त करो, हे मानवो में ही तुम्हे गलत और सही दो रास्ते  दिखाता हूँ और किस रास्ते पे तुम्हे चलना है इसकी समझ मैं मैं तुम्हे बुद्धि देता हूँ और तुम पर छोड़ता हूँ की तुम्हे कौन सा रास्ता अपनाना है,


किन्तु हे मानवो गलत मार्ग पर चल कर तुम मुझे क्रोधित करते हो क्योंकि गलत और सही की समझ के बाद भी तुम गलत मार्ग अपनाते हो, ये गलत मार्ग तुम्हे मुझसे दूर करता है और तुम्हे मोक्ष प्राप्ति से रोक कर सदा जन्म-मरण के भवर जाल में फसाए रहता है… 




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