Tuesday 3 November 2020

ईश्वर वाणी-295आखिर आकाशीय उल्का पिंड कौन है, कहाँ से आते हैं

 ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यों तुमने आकाश में बहते ये अनेक उल्का लिंड अवश्य देखे होंगे, किंतु ये कौन है कहाँ से आते हैं तुमको आज बताता हूँ।


पृथ्वी पर बहने वाली गंगा नदी व उसकी सहायक पवित्र नदियों में विसर्जित अस्थियां ही आकाशीय उल्का पिंड का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, वैतरणी नदी ही गंगा नदी है और इसमें विसर्जित अस्थियां व इसकी सहायक नदियों में विसर्जित अस्थियां ही आकाशीय उल्कापिंड का एक भाग है।

हे मनुष्यों जब धरती की रचना भी नही हुई थी यही उल्का पिंड इस नदी में बहते थे जिनसे अनेक ग्रह नक्षत्रों का निर्माण हुआ, ये सभी प्राचीन अस्थियां ही थी जो सृष्टि निर्माण से पूर्व ये यही बहती रही है गंगा अर्थात वैतरणी के सहारे और लोक परलोक में।"

कल्याण हो

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