Saturday 7 November 2020

सैड शायरी



 1-ए ज़िंदगी तू मुझे सता बहुत रही है


पल पल तू मुझे क्यों यु रुला रही है

अब नही रही मोहब्बत तुझे शायद

ज़ख्म दे तू खड़ी बहुत मुस्कुरा रही है


2-"लोग कहते ए ज़िंदगी तुझमे अब वो बात नही है
शायद अब मुझे तुझसे मोहब्बत नही है"


3-"कहने को ज़माने से, अब सिर्फ अपनी कहानी है
टूटा है दिल ये मेरा, और आँखों  सिर्फ पानी है
रोती अश्क बहाती 'मीठी-खुशी' के लिए क्यों
दर्द छिपा मुस्कुरा, क्योंकि यही तेरी ज़िंदगानी है

न दिखा ज़ख्म को अपने, तू तो दर्द की रानी है
 न कर उम्मीद किसीसे, आखिर इश्क की तू दानी है
उठ खड़ी हो 'मीठी-खुशी' के साथ और करके दिखा
है तेरी ही ये जिंदगी, जिसकी सिर्फ तू महारानी है

बढ़ आगे भुला सब, ज़िन्दगी है तेरी न कि ये बेगानी है
आखिर अश्क बहाती तू क्यों, करती फिर ये नादानी है
ये तो ज़माने की रीत है पगली 'मीठी' इश्क में अब
'खुशी' के बदले ,अश्को की लड़ी ही यहाँ सबको बहानी है"

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