Tuesday 3 November 2020

मेरी कविता

 मेरी कविता



देखो टूट कर कैसे बिखर गए हम


कुछ दूर चले देखे कैसे गिर गए हम


मोहब्बत ढूढ़ने चले थे फिरसे यहाँ


सबकुछ लुटा देखो तन्हा हो गए हम



दे खुशी जहाँ को देखो रोते रह गए हम


अश्क पोछते झूठे मुस्कुराते रह गए हम


शायद यही है तकदीर में तेरी ए मीठी


खुशी की चाहत में हर दर्द सह गए हम

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