जिस पर भी हमने ऐतबार किया उसी ने मेरे भरोसे को तार-तार किया, खता उनकी नहीं शायद मेरी ही थी ,शायद मैंने ही उन्हें अपने करीब कुछ ज्यादा ही समझा, भुला बैठे हम कि उनकी ज़िन्दगी में है और भी लोग जो है हमसे भी ज्यादा करीब उनके और है जो उनके हमदम, भुला बैठे हम अपनी औकात को और उनकी हर कही बात पर विश्वास हमने जो किया, बस ये है एक वज़ह जिस पर भी हमने ऐतबार किया उसीने मेरे भरोसे को तार-तार किया।
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Tuesday, 25 February 2014
Saturday, 15 February 2014
ख़ुशी का ख्वाब दिखा कर उमर भर रुलाने का नाम है मोहब्बत
ख़ुशी का ख्वाब दिखा कर उमर भर रुलाने का नाम है मोहब्बत, चलते चलते राह
में बहक जाने का नाम है मोहब्बत, ख़ुशी के अस्खों कि चाहत में गम के सागर
में डूब जाने का नाम है मोहब्बत,
बेगुनाह हो कर
पल-पल सितम सहने का नाम है मोहब्बत, ना सोने और ना जागते रहने का नाम है
मोहब्बत, वफ़ा कि हसरत में बेवफाई का नाम है मोहब्बत,
बीते प्रेमियों कि खायी झूठी कसमों का नाम है मोहब्बत, साथ उमर भर निभाने का कह कर मझधार में तनहा छोड़ जाने का नाम है मोहब्बत, करके वादे ज़िन्दगी के जाने कितने तोड़ कर सारे हर वादा दूर चले जाने का नाम है मोहब्बत,
एक हसीं दिल से नहीं केवल एक ज़िस्म से दिल्लगी का नाम है मोहब्बत, इश्क के मुखैटे के पीछे वासना को मिटाने का नाम है मोहब्बत,
दिलबर को चाहना नहीं दौलत को पाना नाम है मोहब्बत, किसी के लिए खुदा तो किसी के लिए बेवज़ह का नाम है मोहब्बत,
कही सजा तो कही वफ़ा का नाम है मोहब्बत, बेवफा से मिली जुदाई का नाम भी है मोहब्बत, किसी के लिए साँस तो कही जीवन का नाम है मोहब्बत,
किसी के लौट आने कि आस का नाम है मोहब्बत, दूरे जाने वाले के करीब आने के उस अहसास का नाम है मोहब्बत,
टूटे
हुए दिल के उन टुकड़ो को जोड़ कर फिर से उम्मीद का दामन थमने का नाम है
मोहब्बत, किसी को पाने का नहीं किसी को खो कर भी खुश रहने का नाम है
मोहब्बत,
ख़ुशी का ख्वाब दिखा कर उमर भर रुलाने का नाम है मोहब्बत, चलते चलते राह में
बहक जाने का नाम है मोहब्बत, ख़ुशी के अस्खों कि चाहत में गम के सागर में
डूब जाने का नाम है मोहब्बत,
ख़ुशी का ख्वाब दिखा कर उमर भर रुलाने का नाम है मोहब्बत, चलते चलते राह में
बहक जाने का नाम है मोहब्बत, ख़ुशी के अस्खों कि चाहत में गम के सागर में
डूब जाने का नाम है मोहब्बत,
Monday, 10 February 2014
बरसों बाद आज फिर कुछ लिखने को दिल चाहता है
बरसों बाद आज फिर कुछ लिखने को दिल चाहता है, बरसों बाद आज फिर कुछ करने
को दिल चाहता है, टूट कर बिखर गयी है जो मेरी हर ख़ुशी आज फिर उसे संजो कर
खुश होने का दिल चाहता है, अस्खों में जो बह चुकी थी मुस्कान मेरे होंटो से
आज फिर खुल कर हसने को दिल चाहता है,
है ये सुबह
वही, है ये शाम वही, है सूरज कि रौशनी और चाँद कि चांदी भी वही, टूटे हुए
दिल के टुकड़े गिरे थे जिस जगह पर है ये जमीं भी वही, अस्खों का सैलाब जहाँ
से फूटा था वो आँखे भी है वही, मुस्कुराना जिन लबों ने छोड़ा था ये होंट भी
है वही, परछाइयों से भी मुझे जो लगने लगा था डर वो अक्स भी तो है वही, अकेले जहाँ मैंने खुद को पाया था ये तन्हाई भी तो है वही, छोड़ा जिसने मुझे था बीच मझधार में ये जीवन कि धारा भी तो है वही, मिले मुझे जिन राहों पर चलते हुए इतने दर्द आखिर ये रास्ते भी है वही, मिले जो धोखे मुझे जिन राही से आखिर ये राही भी तो है वही, ख़ुशी का ख्वाब दिखा कर उम्र भर का गम देने वाले, हँसाने कि बात कर कह कर उमर भर रुलाने वाले ये जमानेवाले भी तो है वही,
है
वो दर्द भरी याद इस दिल में बीते कल कि, है रुके मेरे कदम याद में जिसकी
हरदम जाने क्यों आज फिर आगे बढ़ने को दिल चाहता है, बहते हुए इन अस्खों को
पोंछ कर इस दुनिया को देखने को दिल चाहता है, जो छूट चुका अतीत कि गहराई
में भुला कर उसे फिर से जीने को दिल चाहता है,
जो
जी है मैंने ज़िन्दगी अपनी अँधेरे में आज उस अँधेरे से दूर उजाले में जीने
को दिल चाहता है, दर्द भरी शाम से दूर कही प्यार भरी सुबह देखने को दिल
चाहता है,
बस अब बरसों बाद आज फिर कुछ लिखने को दिल चाहता है, बरसों बाद आज फिर कुछ करने को
दिल चाहता है, टूट कर बिखर गयी है जो मेरी हर ख़ुशी आज फिर उसे संजो कर खुश
होने का दिल चाहता है, अस्खों में जो बह चुकी थी मुस्कान मेरे होंटो से आज
फिर खुल कर हसने को दिल चाहता है,
बरसों बाद आज फिर कुछ लिखने को दिल चाहता है, बरसों बाद आज फिर कुछ करने को
दिल चाहता है, टूट कर बिखर गयी है जो मेरी हर ख़ुशी आज फिर उसे संजो कर खुश
होने का दिल चाहता है, अस्खों में जो बह चुकी थी मुस्कान मेरे होंटो से आज
फिर खुल कर हसने को दिल चाहता है,
Saturday, 8 February 2014
चलते चलते कदम अचानक मेरे ..............
चलते चलते कदम अचानक मेरे रुक क्यों गए, झूमते झूमते खुशी में अचानक ये
अश्क मेरी आँखों से झलक क्यों गए, रह रह कर ये टीस मेरे दिल में अचानक
क्यों उठने लगी, है नहीं कही चोट इस ज़िस्म में फिर भी जाने क्यों ये दर्द
भरी आहे मेरे मन से आने लगी,
क्यों मेरा ये
दिल अचानक दुनिया कि सोचने लगा, क्यों मेरे इस दिल में दूसरों का अचानक
ख्याल आने लगा, लोग तो है वो ही पुराने और ख्यालात भी है उनके पुराने फिर
क्यों जाने अचानक मेरे मन में एक क्रांति का अंकुर फूटने लगा,
देख
लोगों का दोहरा चेहरा मेरा ये मन जाने क्यों अचानक जलने लगा, झूठ-फरेब और
साज़िशों का जाल आज हर कोई जाने क्यों बुनने लगा, प्रेम और भाई चारे का
व्यवहार आज हर शख्स है क्यों भूलने लगा,
असल
सूरत को मुखोटो में छिपाते है लोग क्यों, बनावटी मुस्कान दिखा कर हाथ मिलते
है लोग क्यों बस रह रह कर इस दिल में ये ख्याल मुझे सताने लगा,
दिल
में है कुछ और बताते है कुछ जाने क्यों ये लोग मेरे मन में ये सवाल अब बार
बार उठने लगा, है बुराई दिल में जब उनके लिए फिर भी क्यों झूठी मित्रता
दिखाते है लोग मन में मेरे ये सवाल अचानक ही उठने लगा,
देख
दुनिया कि धोखे बाजिया मन में मेरे भी अब क्रांति का स्वर है गूंजने
लगा, देख सबकी चालबाज़िया दिल मेरा ये कहने लगा नहीं है इस दुनिया में कोई
ऐसा जिसे तुम कह सको नेक और सच्चा , झूठ और फरेब कि इस दुनिया में मित्रता
के नाम पर सौदागर हज़ार है,
अपनों के नाम पर सबके चेहरों पर
मुखोटे हज़ार है, कहते है जिसको अपना वो ही देते धोखे हज़ार है, ख़ुशी के नाम
पर गम मिलते लोगों से हज़ार हैं,देख दुनिया कि रुस्वाई मन में मेरे ये बात
आयी है अपनों से भली तो है ये तन्हाई,
फिर आया ख्याल ये दिल में
मेरे कि है गर दुनिया से मिटाना झूठ और फरेब का ये दोस्ताना तो या उनके
जैसे है हमे बन जाना या फिर तोड़ कर हर रिश्ता उस इंसान से है बिलकुल
अनजान हो जाना,
जो रखते है चहरे पर चमक पर रखते है दिल में
कपट हो चाहे वो हमारे कितने भी निकट तोड़ कर हर रिश्ता उनसे है दूर कही चले जाना,
चाहे रहना पड़े अकेले या तन्हाइयो में गुज़रे ये शाम और सवेरे चाहे
चलते-चलते राहो में लगती रहे ये ठोकरे, चाहे गिरते रहे फिर उठते रहे सितम
ज़िनदगी के हम सहते रहे पर इन दोरुपियों से है बहुत दूर रहना ,
चाहे
आंधी रोके रास्ता चाहे तूफ़ान मोड़े रास्ता, नदिया भी चाहे अब सुनाये बाड़ और
तबाही का फैसला, चलते चलते राह में कांटे भी अब छील कर पावों को कर दे घायल पर इन
राहो में नहीं कोई रोक सकेगा अब मेरे ये कदम, बढ़ते रहेंगे अब ये हरदम,
चलते-चलते
राहों में बहुत रुक चुके मेरे कदम, झूमते-झूमते ख़ुशी में बहुत झलक चुके
मेरे ये अश्क, जो उठी थी टीस इस दिल में उसी कि चिंगारी इस दिल में है अब
चलने लगी, दर्द से निकलती थी आह मेरे दिल से उसी दर्द से ही मैंने है ये
दवा ही बना ली, दोहरा रूप धरने वालों से है मैंने तो अब दूरी बना ली, झूठी मित्रता करने वालों से मैंने तो अब दुश्मनी बना ली, इन फरेबी लोगों से मैंने तो दूरी बना ली, जो रखते हैं दिल में छल और कपट, जो दिखा कर झूठी मित्रता करके फरेब उसी का दुखाते है दिल किसी का मैंने तो ऐसो से अब है दूरी बड़ा ली हाँ अब सबसे मैंने ये दूरी बना ली....
Wednesday, 15 January 2014
करते-करते इंतज़ार
करते-करते इंतज़ार उनसे एक मुलाक़ात का उम्र हमारी गुज़र गयी, याद में उनकी रोते-रोते आँखे भी मेरी सूख गयी, पर वो ज़ालिम दिलबर ना आया मेरा जिसका करते-करते इंतज़ार आज मेरी ये साँसे भी रुक सी गयि…
सच्ची मोहब्बत
चलते-चलते राह में उनसे मुलाक़ात हुई, चलती हुई उन राहों में उनसे जाने कितनी बात हुई, फिर एक मोड़ पर वो कही बिछड़ गए, कहते हैं लोग के वो तो किसी और के हो गए, पर इस सौदे में भी पा कर साथ किसी और का नुक्सान उन्ही ने पाया, वो हुए है जिसके उसके जीवन में तो है जाने कितनो का साया, पर जिसके दिल में समायी है सिर्फ उनकी ही एक छवि बस उसको ही उन्होंने कभी न अपनाया और हमेशा ठुकराया,
सच कहते है लोग सच्ची मोहब्बत ना है कही अब दिखती और जो दिख जाए सच्ची मोहब्बत किसी कि नज़रों में उसे ही है उमर भर रुसवाई यु ही मिलती रही …………
मुस्कुराने को कहते हैं
tod
ke dil ye mera wo hasne ko kahte h, ban ke bewafa wo mujhe bhul jane ko
kahte h, de kar jakham iss dil par hazaro fir mujhe muskurane ko kahte
h.....
तोड़ के दिल ये मेरा वो हसने को कहते हैं, बन के बेवफा वो मुझे भूल जाने को कहते हैं, दे कर जख्म इस दिल पे हज़ारों फिर मुझे वो मुस्कुराने को कहते हैं……
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