ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यों यू तो तुमने अपने जन्म कुंडली कई बार देखी होगी व कई ज्योतिष व जानकारों को दिखाई होगी, किंतु तुम्हे आज बताता हूँ इसके विषय में जिसे तुम्हे तुम्हारे ज्योतिष व जानकर ने भी नही बताया होगा।
यद्धपि जन्मपत्री में तुम अपने भविष्य व भूतकाल की जानकारी प्राप्त करते हो अथवा कर सकते हो, किंतु आज तुम्हें बताता हूँ तुम्हारे जन्म के समय से पूर्व ही तुम्हारे विषय में तुम्हारी भौतिक देह, आत्मा व कर्म के विषय मे पहले ही लिखा जा चुका होता है।
जब एक बालक माता के गर्भ में आता है तभी उसकी भौतिक देह का विकास होने के साथ ही कितनी आयु इस भौतिक देह की है ये लिखा जा चुका होता है।
इसके बाद उसमें जब आत्मा का प्रवेश हो कर जीवन आता है तब ये निश्चित होता है कि कितनी देर तक अर्थात कितने समय तक आत्मा इस भौतिक देह में रहेगी।
इसके बाद जब शिशु का जन्म होता है तब ये निश्चित होता है इसके कर्म कब तक रहेंगे अर्थात कब तक ये कर्म करता रहेगा इस भौतिक शरीर और आत्मा के साथ।
हे मनुष्यों यद्धपि इन तीनो की पूर्ण जानकारी के बिना जन्मपत्री में दी गयी जानकारी अपूर्ण है, किंतु ये जानना भी बहुत मुश्किल है कि एक शिशु कब अपनी माँ के गर्भ में आया, कब उसके शरीर मे आत्मा का प्रवेश हो जीवन प्रक्रिया की शुरुआत हुई साथ ही आत्मा और भौतिक शरीर के साथ शिशु का जन्म कब होगा।
किन्तु सारांश में जन्मपत्री केवल इस कर्म प्रधान समय और देह का ही आंकलन करते हुए भविष्यवाणी करता है किंतु ये भी सत्य है कि ये एक अधूरी जानकारी है।
हे मनुष्यों क्या तुमने कभी देखा है किसी प्राणी की आत्मा उसके भौतिक शरीर को के नष्ट होने के बाद छोड़ कर गयी है, नही ऐसा संभव ही नही, पहले आत्मा देह त्यागती है उसके बाद ही देह नष्ट होती है।
कभी कभी इंसान भौतिक शरीर व आत्मा दोनों के साथ तो होता है लेकिन कर्म करने की दशा में नही होता(जैसे कोई कोमा में होता है) किन्तु फिर एक निश्चित समय बाद उसकी आत्मा भौतिक देह को छोड़ जाती है और भौतिक देह भी अपने समय के बाद नष्ट हो जाती है अथवा कर दी जाती है।
भाव यही है भौतिक शरीर,आत्मा और कर्म प्रधान देह इन तीनो का ही ज्ञान अतिआवश्यक है, और जब तक इन तीनों की जानकारी नही होती अथवा कोई जानकर जब तक इनकी पूर्ण जानकारी नही देता तब तक जन्मपत्री की जानकारी पूर्ण नही अपितु अपूर्ण ही होगी।
कल्याण हो