किसी ने मेरे मुस्कुराने की वज़ह पूछी तो आँखे हो गयी नम
मेहफिल मे पूछा गया दिल तोड़के आखिर है तुम्हें क्या गम
रोते-रोते भी अश्क सूख चुके है इन आँखों से अब मेरी दोस्तों
साँसें ज़िंदगी की हर पल घोटती है क्यूँ अब मेरा ये दम
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किसी ने मेरे मुस्कुराने की वज़ह पूछी तो आँखे हो गयी नम
मेहफिल मे पूछा गया दिल तोड़के आखिर है तुम्हें क्या गम
रोते-रोते भी अश्क सूख चुके है इन आँखों से अब मेरी दोस्तों
साँसें ज़िंदगी की हर पल घोटती है क्यूँ अब मेरा ये दम
ख़ुद को गिरा कर तुझको उठाते रहे
मोहब्बत मे हरपल अश्क बहाते रहे
भूल गयी 'मीठी' वज़ूद खुदका भी
'खुशी' की चाहत मे ख़ुद को मिटाते रहे
आ बैठ मेरे पास तुझे कुछ कहना है
दिल कहता है बिन तेरे नही रहना है
अधूरे है तेरी मोहब्बत के बिना हम
दर्द जुदाई का अब मुझे नही सहना है
दर्द सहकर भी अब रोना नही आता
ख़ता उसकी है ये कहना नही आता
ज़ख़्म दे कर कहते है वो अक्सर मुझे
मोहब्बत मे तुम्हें रहना नही आता
छिपा है कहीं पर इस भीड़, मे से कोई है
लाखों है लोग, पर वो इनमें से, ही कोई है,
छिपा है कहीं पर इस भीड़, मे से कोई है
लाखों है लोग, पर वो इनमें से, ही कोई है,
है इंतज़ार फ़िर किसी का
है ऐतबार फ़िर किसी का
छिपा है कोई बादलों मे कहीं
है इंतज़ार बस उसी का
काश कभी किसी रोज़ ऐसे सो जायें,
कितना भी कोई चाहे फ़िर न जाग पाएँ,
जी ले ख्वाबो की दुनिया को जी भरकर यु कि
फ़िर कितना भी कोई पुकारे हम न लौट के आयें