Tuesday 18 April 2017

कविता

अपनी अधूरी कहानी याद आती है
हर पल बात वही पुरानी याद आती है

तेरा मुस्कुराना मेरे करीब यूँ आना
पल पल तेरी हर वो रवानी याद आती है

कहते है लोग जुदा तू मुझसे हो गया
जो संग जी तेरे वो ज़िंदगानी याद आती है

भले न हो तु आज दुनिया की महफ़िल में
अपनी मोहब्बत की ये निशानी याद आती है

आज भले है अश्क इन आँखों में तेरे बिन
'मीठी-ख़ुशी' की हर नादानी याद आती है

जिये हैं जो ये लम्हें हस कर हमने साथ
साथ तुम्हारे की हर शैतानी याद आती है

अपनी अधूरी कहानी याद आती है
हर पल बात वही पुरानी याद आती है-2

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