Sunday 16 April 2017

भजन-जीवन की नेया

"जीवन की नेया पार लगाओ प्रभु
भव-सागर से पार लगाओ प्रभु

भटकता रहा हूँ बिन मन्ज़िल के
जगत में है न मेरा कोई ठिकाना-२

आकर मुझको गले लगाओ प्रभु
और न मुझको तुम सताओ प्रभु

जीवन की नेया.................प्रभु

जीवन है मेरा कितना अधूरा
अँधेरे ने इसको है आज घेरा-२

थाम लो हाथ ले चलो साथ मेरे प्रभु
न छोड़ो तन्हा अपना लो मुझे तुम प्रभु

माना न भक्ति है न है धर्म की शक्ति
पापी हूँ मैं पाप ही बस करता रहा हूँ -२

खुदको दूर तुझसे मैं करता रहा हूँ
मर मर के यूँ तो मैं जीता रहा हूँ

अब न दूर मुझसे और न रहो तुम
आ कर मुझे तुम अपनाओ  प्रभु

भला हूँ बुरा हूँ तेरा ही बालक हूँ
मझधार से निकाल दिलसे लगाओ प्रभु

जीवन की नेया.......................प्रभु

वचन न तेरा कभी झूठा बने
आकर हृदय में बस जाओ प्रभु

अकेला रहा हूँ इन रास्तो पर मैं भी कभी
साथी बन कर साथ मेरे तुम भी चलो कभी-२

जीवन की नेया पार लगाओ प्रभु
भव-सागर से पार लगाओ प्रभु-२"








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