Wednesday 24 May 2017

ईश्वर वाणी-२०११, ईश्वर की मृत्यु

ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यों मैं आत्माओं में परम हूँ इसलिये परमात्मा हूँ, अजन्मा और अविनाशी हूँ अर्थात न तो मेरा जन्म हुआ है न ही मेरी मृत्यु होती है, मैं ही 'कल', 'आज', 'कल' अर्थात काल हूँ।

मैं ही जीवों में प्रथम हूँ, ध्वनियों में प्रथम, विचार में प्रथम, संसार में प्रथम हूँ। हे मनुष्यों सतयुग से ले कर कलयुग में इस काल तक देश, काल, परिस्तिथि के अनुरूप अपने ही एक अंश को धरती पर भेजा जब जब जहाँ जहाँ मानवता की हानि हुई।

हे मनुष्यों मैं एक विशाल सागर हूँ, समस्त सृष्टि मुझमे ही समायी है किंतु जब जब मानवता की हानि और जीवो का दोहन शोषण व् अत्याचार मानव दवारा होता है, ये सभी सीमाये जब तोड़ देता है तब मुझ विशाल सागर से ही एक बूँद जो मेरे ही समान श्रेष्ट है क्योंकि वो मेरा ही एक रूप है अर्थात वो स्वम में ही हूँ देश, काल, परितिथि के अनुरूप जन्म लेता हूँ।

हे मनुष्यों मैं जन्म अवश्य लेता हूँ, लीला पूर्ण कर देह त्यागने तक का स्वांग में करता हूँ ताकि तुम भी इस भौतिक काया के मोह में न पड़ो और ये जान सको की जब ये भौतिक देह किसी 'अवतारी' की नही रही तो तुम्हारी सदा कैसे हो सकती है, सच्चा केवल मेरा नाम बाकी तो माया है।

हे मनुष्यों किंतु मेरा जन्म तुमने देखा सुना होगा किंतु मेरे मृत शरीर के विषय में न सोचा होगा न देखा होगा न जाना होगा,
जैसे जन साधारण की मृत्यु के बाद उसका क्रिया कर्म किया जाता है मोक्ष के लिए वैसे मेरा नही होता, यहाँ तक की मेरी मृत देह भी किसी को प्राप्त नही होती, कारन आज तुम्हे बताता हूँ।

हे मनुष्यों मैं ही आत्माओ को जन्म व् मुक्ति देता हूँ तो भला मेरी भौतिक देह का अंतिम संस्कार कर मुझे कैसा मोक्ष, ये तो वही बात हो गयी जैसे तुम अपने घर में रह रहे हो, जरूरत मन्दो को पनाह दे रहे हो और कोई तुम्हे तुम्हारे ही घर में पनाह देने की बात कहे।

हे मनुष्यों साथ ही आत्माओं में परम होने के कारन मैं परमात्मा जो भी भौतिक देह धारण करता हूँ वो भी उतनी ही पावन होती जितनी उस देह में विराजित आत्मा, अतः कोई भी मानव उसे नहीं प्राप्त कर सकता तथा समस्त संसार का स्वामी मैं, सबका मुक्ति दाता मैं, मोक्ष प्रदान करने वाला मैं, मेरा अंतिम संस्कार नही किया जाता,कोई करना भी चाहे तो नही होता क्योंकि सभी आत्माओ का स्वामी आत्माओ में परम अजन्मा, अनन्त, अविनाशी मैं ईश्वर मेरी मृत्यु नहीं होती।"


कल्याण हो


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