Friday 25 August 2017

ईश्वर वाणी-२२१- राधा और कृष्ण एक ही हैं

ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यों आज मैं तुम्हे राधा और कृष्ण के विषय में सक्षिप्त  जानकारी देता हूँ, राधा और कृष्ण दो अलग अलग देव नहीं अपितु एक ही थे, यद्धपि उनकी देह अलग थी, एक स्त्री और एक पुरुष था, दोनों का जन्म अलग हुआ किंतु  फिर भी अलग हो कर भी एक थे।

राधा और कोई नहीं श्री कृष्ण की शक्ति थी, जैसे संसार की उत्पत्ति के लिए पहले शक्ति का सृजन मैंने किया वैसे ही श्री कृष्ण के जन्म से पहले उनकी सभी लीलाओ को पूर्ण करने हेतु आदि शक्ति माता राधा रानी रूप में अवतरित हुई, भगवान विष्णु ने कृष्ण अवतार की लीलाओ की पूर्ति हेतु सबसे पहले अपनी शक्ति को भेज, ये न भूले बिना शक्ति के संसार में कुछ भी सम्भव नही है, यही शक्ति उनकी लीलाओ का मूल आधार रही है।

हे मनुष्यों जैसे भगवान शिव का अर्धनारीश्वर रूप प्रतेयक पुरुष में नारी रुपी तत्व के होने की शिक्षा देता है वैसे ही राधा स्वरुप कृष्ण की लीलाओ उनकी शक्ति उनकी बुद्धि और कर्तव्य परायणता की भी सीख देता है, यदि राधा न होती तो कृष्ण की बाल लीला क्या इतनी याद की जाती, निःस्वार्थ कोमल और पवित्र प्रेम की सीख जो उन्होंने दी क्या तुम्हे आज मिल पाती।

हे मनुष्यों यहाँ कितने ही पुरुष है जो अपनी पत्नी व् प्रेमिकाओं से खुद को अलग न रख कर एक समझते हो, दिखावे के लिए तो सब कह देते है की हम एक ही तो है किंतु इस शब्द का वास्तविक 
अर्थ तो राधा कृष्ण की इस जोड़ी से पता चलता है, राधा के बिना कृष्ण का वज़ूद ही अधूरा है, भले विवाह न हुआ उनका साथ न रहे एक दूसरे के लेकिन फिर भी वो सदा एक ही रहे कारण राधा कृष्ण की शक्ति उनकी इस समस्त लीला में न सिर्फ उनके साथ रही अपितु बैकुंठ में उनके साथ है,बिना शक्ति अर्थात इस राधा के भगवान किसी भी रूप में अपूर्ण ही है, ये शक्ति ही है जो उनको पूर्ण करती है, इसलिये राधा और कृष्ण दो अलग नहीं अपितु एक ही है।

हे मनुष्यों इस प्रकार तुम अपनी पत्नी या प्रेमिका को चाहे कितना कह दो हम तो एक है किंतु वास्तव में शक्ति रुपी राधा तत्व ही समस्त संसार के अंदर समाया है जिसके कारण ही श्रष्टि चल रही है और अनंत काल तक युही चलती रहेगी, हे मनुष्यों इस प्रकार नारी का सम्मान करो, यदि तुम ऐसा नही करते तो तुम्हारे भीतर शक्ति रुपी राधा क्रोधित होती है और तुम्हे कठोर दंड देती है जिसके फलस्वरूप तुम रोगी व् बीमार होते हो अनेक कष्ट पाते हो, इस प्रकार स्त्रियों का सम्मान करो ताकि प्रतेक जीव की देह में विराजित राधा रानी तुम पर प्रसनं हो कर आशीर्वाद दे।"


कल्याण हो

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