Friday 25 August 2017

कविता-पिया मिलन की आस

"करती हूँ तुझे याद, है पिया मिलन की आस
करती हूँ तेरी ही बात, है  मिलन की आस

दिन बीते, माह बीते, बीत गए ये सालो साल रे
प्यासे नेना ढूढे तुझको, है पिया मिलन की आस

चुप है दिल पूछती धड़कन, कहाँ गया मेरा हमदम
खामोश निगाहे पुकारे , है पिया मिलन की आस

कहता है मन, क्यों साथ नहीं मेरा दिलबर मेरा सनम
बीत रही ज़िन्दगी तन्हाई में, है पिया मिलन की आस

टूट कर बिखरे ख्वाब जो मेरे, नहीं अब आँखों में कोई
दूर जा कर भी तू दूर नही, है पिया मिलन की आस

है पता मुझे, नहीं तू करीब मेरे न है दिल के पास
है मोहब्बत तुझसे ही बस, है पिया मिलन की आस

करती हूँ तुझे याद, है पिया मिलन की आस
करती हूँ तेरी ही बात, है  मिलन की आस"-२

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