ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यों यधपि तुमने आत्मा व सूक्ष्म शरीर, जीवात्मा के विषय मे बहुत कुछ सुना होगा, किँतु आज तुम्हें बताता हूँ आत्मा और सूक्ष्म शरीर कब अलग होते हैं और कब और कहाँ एक होते हैं।
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Wednesday, 25 November 2020
ईश्वर वाणी- 298 ,आत्मा, सूक्ष्म शरीर की यात्रा
Monday, 16 November 2020
Friday, 13 November 2020
Monday, 9 November 2020
सम्भलना भूल गए-शायरी
"सबको हँसाते-हँसाते हँसना हम भूल गए
Saturday, 7 November 2020
सैड शायरी
1-ए ज़िंदगी तू मुझे सता बहुत रही है
Thursday, 5 November 2020
Romantic shayri
दूर तुम से हम जाये कैसे
Wednesday, 4 November 2020
सैड शायरी-खुदसे हार गई मीठी
आँखों मे नमी और दिलमें दर्द है
ये ज़माना देखो कितना हुआ बेदर्द है
सबसे जीती खुदसे हार गई 'मीठी'
'खुशी' की बात कह झूठे मिले हमदर्द है
सैड शायरों-कब कौन सी बात
न जाने कब कौन सी बात अधूरी रह जाये
न जाने किस रात की सुबह न आये
जी लूँ तुझे जी भर कर ए मेरी ज़िंदगी
शायद फ़िर तू मुझे कभी मिल न पाए
Tuesday, 3 November 2020
मेरी रचना (सैड शायरी)
ए ज़िंदगी तू कितनी खूबसूरत ह
तेरे होते न किसी की जरूरत है
सैड शायरी-क्या जुनून झाया
लिखते लिखते मोहब्बत की कविता
जाने क्या जुनून झाया तुझपे ए मीठी
खुशी की चाहत में ये क्या खता कर दी
शायरों वाली मोहब्बत फ़िर से कर ली
सैड शायरी
खता उनकी नही खता तो हमारी है
उन्होंने तो सच कहा एक दिन रुसवा कर देंगे
हमने ही मज़ाक समझा तो कसूर हमारा है
सैड शायरी
ऐ ज़िन्दगी में फ़िर कही बहक न जाऊँ
मेरी कविता
मेरी कविता
देखो टूट कर कैसे बिखर गए हम
कुछ दूर चले देखे कैसे गिर गए हम
मोहब्बत ढूढ़ने चले थे फिरसे यहाँ
सबकुछ लुटा देखो तन्हा हो गए हम
दे खुशी जहाँ को देखो रोते रह गए हम
अश्क पोछते झूठे मुस्कुराते रह गए हम
शायद यही है तकदीर में तेरी ए मीठी
खुशी की चाहत में हर दर्द सह गए हम
ईश्वर वाणी-296 मेरी स्तुति
ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यों तुम अपने मत, पूजा विधि-पद्धति व मेरे नामो को अनेक प्रकार से लेने को ले कर लड़ते रहते हो किंतु तुम जानकर भी नही जानना चाहते कि कोई चाहे किसी भी नाम और पूजा विधि का प्रयोग करे किंतु ये पूजा और इसका पूण्य मुझतक ही पहुँचती है।
ईश्वर वाणी-295आखिर आकाशीय उल्का पिंड कौन है, कहाँ से आते हैं
ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यों तुमने आकाश में बहते ये अनेक उल्का लिंड अवश्य देखे होंगे, किंतु ये कौन है कहाँ से आते हैं तुमको आज बताता हूँ।
ईश्वर वाणी-294 नवीन व पुरानी आत्मा