Friday, 12 July 2024

Sad shayri

 ए ज़िंदगी आखिर क्यों हो ख़फ़ा मुझसे

आखिर दूर जाने की है क्या वज़ह मुझसे

तू रूठ गयी तो जी कैसे पाएंगे हम भला

आखिर हो रही क्यों है तू अब जुदा मुझसे

दर्द वाली शायरी

 खुद को गिरा तुझको उठाते रहे

ज़ख़्म मोहब्बत मे हम खाते रहे

भूल गए वज़ूद खुदका भी है कोई

खुदको मिटा तुझको बनाते रहे

Tuesday, 9 July 2024

दर्द वाली शायरी

 किसी ने मेरे मुस्कुराने की वज़ह पूछी तो आँखे हो गयी नम

मेहफिल मे पूछा गया दिल तोड़के आखिर है तुम्हें क्या गम

रोते-रोते भी अश्क सूख चुके है इन आँखों से अब मेरी दोस्तों

साँसें ज़िंदगी की हर पल घोटती है क्यूँ अब मेरा ये दम





Datd bhari shayri

 ख़ुद  को  गिरा  कर तुझको उठाते  रहे

मोहब्बत मे  हरपल अश्क बहाते रहे

भूल  गयी 'मीठी' वज़ूद  खुदका भी

'खुशी' की चाहत मे ख़ुद को मिटाते रहे

Monday, 8 July 2024

Love shayri

 आ बैठ मेरे पास तुझे कुछ कहना है

दिल कहता है बिन तेरे नही  रहना है

अधूरे है तेरी मोहब्बत के बिना हम

दर्द जुदाई का अब मुझे नही सहना है

Sad shayri

 दर्द  सहकर भी अब रोना नही आता

ख़ता उसकी है ये कहना नही आता

ज़ख़्म दे कर कहते है वो अक्सर मुझे

मोहब्बत मे तुम्हें रहना नही आता


Saturday, 6 July 2024

छिपा है कहीं पर इस भीड़ मे से कोई है- shayri


छिपा है कहीं पर इस भीड़, मे से कोई है

लाखों है लोग, पर वो इनमें से, ही कोई है, 


बस मेरा हमनशीं मेरा ,शहज़ादा है जो
दुनिया की इस मेहफिल मे से, ही कोई है

है हमराज़ मेरे दिलका, मोहब्बत है जो मेरी
चमकते टिमतिमाते सितारों मे से, ही कोई है

ढूंढती है आँखें जिसे हरकहीं ,मेरी सुबह-शाम
बादलों मे छिपा मेरा राजकुमार, ही कोई है

मिले कहीं तो कह दू, तू है बस आशिकी मेरी
तन्हा ज़िंदगी मे कहीं छिपा मेरा प्यार,ही कोई है

खोजती "मीठी" उसको, आज भी हर कहीं
"खुशी" का करे इज़हार मुझे , दिलदार कोई है

ज़ख़्म बहुत मिले इश्क मे मुझे, ज़माने से ऐसे
साथ उम्र भर देने को हो त्यार जहाँ, मे से कोई है

रुलाया सताया तड़पाया, वफा के बदले मुझे
भर बाँहों मे मुझे वफ़ा करे, सच्चा यार वोही है

छिपा है कहीं पर इस भीड़, मे से कोई है

लाखों है लोग, पर वो इनमें से, ही कोई है,