एक कश्ती हूँ मैं
तुफानो
से घिरी एक कश्ती हूँ मैं ,अपनों के दिल में क्यों चुभती हूँ मैं ,टूटे
हुए अरमानो की एक अजब तश्वीर हूँ मैं ,जाने कैसे यु मजबूर हूँ मैं, मुझे
नहीं पता की जाना है मुझे कहाँ ,
बस अपने सीने में बुझे हुए चिरागों के साथ
अपना हमसफर ढूँढती हूँ मैं ,मिल जाए कही जो ले चले इन तूफानों से पार मुझे ,चाहे वो मुझे इस कदर जो तोड़ कर हर बंधन बना ले मुझे वो अपना हमसफ़र बस उसी दिलबर की तलाश में हूँ मैं।
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