Friday 31 October 2014

ईश्वर वाणी -60

ईश्वर कहते हैं हमें सदा दूसरों के साथ नेकी करनी चाहिए यघपि जिसके साथ हम नेकी कर रहे हैं वो हमारे विषय में कुछ भी सोचे, ईश्वर कहते हैं भले जिसके साथ हम नेकी कर रहे हैं वो इसकी अहमियत न समझता हो, यघपि वो हमारी आवश्यकता के समय हमरे साथ नेकी न करे किन्तु उसकी आवश्यकता के समय हमें उसकी सहायता अवश्य करनी चाहिए और इसके साथ यदि हम नेकी करते हैं तब बदले में उस मनुष्य से हमें इसके बदले नेकी ही मिलेगी ऐसी उम्मीद नहीं रखनी चाहिए किन्तु इसे ईश्वर का आदेश मान कर करना चाहिए, क्योंकि भले ही किसी के साथ अच्छा और बुरे वक्त में सहायता करने का अहसान एक मनुष्य समय निकलने के बाद अवश्य भूल जाए किन्तु ईश्वर नहीं भूलता, ईश्वर प्रतेक प्राणी को उसके कर्मो अनुसार ही फल देता  है, जिसने किसी के साथ नेकी की है उसके अनुरूप उसे फल मिलेगा और और जो किसी की सहायता को भूल जाए और अपने स्वार्थ में लीन हो उस सहायता देने वाले मनुष्य को भूल जाए उसे उसके अनुरूप ही ईश्वर फल देते हैं,



ईश्वर कहते हैं जब फल देने वाला मैं हूँ तब तुम अपने अच्छे और बुरे कर्मो के फलों की आशा मानव से क्यों करते हो, निरंतर कर्म करते रहो, और जो तुम्हारे कार्मोनुसार सही होगा उसी  अनुसार मैं तुम्हे फल दूंगा।



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