Sunday 19 October 2014

इशवर वाणी -58


"मित्रो जैसा की आप सभी अपनी-अपनी मान्यताओ क अनुसार विभिन्न धार्मिक स्थलों पर जाते होंगे और वाहा जा कर आपको ना सिर्फ़ सुकून मिलता हो बल्कि आपके मनोरथ की भी प्राप्ति वाहा मन्नत माँग के हुई होगी.
दोस्तो ईस्वर कहते हैं: जहा मुझे सच्चे दिलसे याद कर मेरे लिए प्रठनए की जाती हैं, वो स्थान मेरा नाम मात्रा से पवितरा हो जाता है, और यही कारण है की वाहा मन्नत माँगने से हमरी हर मुराद पूरी होती है.
ईश्वर कहते हैं: घर पर भी ह्म उन्हे याद करते है और प्रठना करते है लेकिन घर उन धार्मिक जगह जैसा नई होता क्यू की घर में र्हते हुए प्रभु को याद करते हुए कही ना कही किसी ना किसी विषय को ले कर विचलित रहता ह या हो जाता ह,
तभी प्रभु सम्पूँ परिवार के साथ प्रठना करने को खते है ताकि मॅन विचलित ना कर प्रभु में ध्यान लगाया जाए,
प्रभु कहते है अग्र मॅन में बुरे विचार रख के या किसी के लिए अहित की भावना रख के उन्हे हम याद करते है तब ईश्वर यूयेसेस स्थान से चले जाते है जहा प्रठनाओ के द्वारा उन्हे वाहा बुलाया गया था,
इसलिए अग्र ईश्वर को पाना है तो नेक रास्ते पर चलो और किसी के लिए बुरा मत सोचो,
आपका कल्याण हो"
स्पोकन बाइ
सैंट
अर्चू





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