Tuesday 28 October 2014

होसला मैंने रखा है


"हूँ तन्हा कितनी मैं पर ज़िंदगी जीने का होसला मैने रखा है,
खड़ी हूँ अकेले इन रस्तो पर लेकिन अकेले ही चलने का होसला मैने रखा है,
टूट कर बिखर गये है ख्वाब मेरे पर पॅल्को पर उन्हे आज भी सज़ा रखा है,
मिली है ठोकरे ही मुझे इस ज़हन में फिर भी खड़े होने का होसला मैने रखा है,


दिए है गम और अश्क ही मुझे हर इंसान ने फिर मुस्कुराते रहने का होसला मैने रखा है"


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