"क्यों इश्क में शीशा समझ दिल लोग तोड़ जाते है
करते है वादा वफ़ा का तन्हा छोड़ जाते है
अश्क छिपा अपने पूछती है 'मीठी' 'ख़ुशी' से ये
क्यों मेरी ही ज़िन्दगी में यु ऐसे ये जोड़ आते है
देते है पल दो पल की मुस्कुराती 'मीठी-ख़ुशी' यहाँ
मिलते है अश्क उमर भर इश्क में ऐसे मोड़ आते हैं
करते है वादा वफ़ा का तन्हा छोड़ जाते है
अश्क छिपा अपने पूछती है 'मीठी' 'ख़ुशी' से ये
क्यों मेरी ही ज़िन्दगी में यु ऐसे ये जोड़ आते है
देते है पल दो पल की मुस्कुराती 'मीठी-ख़ुशी' यहाँ
मिलते है अश्क उमर भर इश्क में ऐसे मोड़ आते हैं
क्यों इश्क में शीशा समझ दिल लोग तोड़ जाते है
करते है वादा वफ़ा का तन्हा छोड़ जाते है-२"😢
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