"ऐ ज़िन्दगी ढूढता हूँ तुझे ही हर कही
जाने क्यों मिलती तू मुझे है नही-२
ऐ ज़िन्दगी...............................
बहारो में ढूंढता हूँ तुझे,
फिज़ाओ में खोजता हूँ तुझे
तू रहती कहाँ है आ बता दे मुझे
दिल से दिल का पता दे मुझे
ऐ ज़िन्दगी............................
तू मिलेगी कभी ये यकी है मुझे
दिल देगी कभी हाँ तू भी मुझे-२
चाहूँगा तुझको ही हर घडी ओ 'ख़ुशी'
'मीठी' सी होगी मेरी वो 'हमनशि'
छिपी है कही इन नज़ारो में वो कहीं
होगी वो हज़ारो में है मुझे ये यकी-२
जाने क्यों मिलती तू मुझे है नही-२
ऐ ज़िन्दगी...............................
बहारो में ढूंढता हूँ तुझे,
फिज़ाओ में खोजता हूँ तुझे
तू रहती कहाँ है आ बता दे मुझे
दिल से दिल का पता दे मुझे
ऐ ज़िन्दगी............................
तू मिलेगी कभी ये यकी है मुझे
दिल देगी कभी हाँ तू भी मुझे-२
चाहूँगा तुझको ही हर घडी ओ 'ख़ुशी'
'मीठी' सी होगी मेरी वो 'हमनशि'
छिपी है कही इन नज़ारो में वो कहीं
होगी वो हज़ारो में है मुझे ये यकी-२
ऐ ज़िन्दगी ढूढता हूँ तुझे ही हर कही
जाने क्यों मिलती तू मुझे है नही-२"
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