Wednesday 27 September 2017

गीत-ऐ ज़िन्दगी

"ऐ ज़िन्दगी ढूढता हूँ तुझे ही हर कही
जाने क्यों मिलती तू मुझे है नही-२

ऐ ज़िन्दगी...............................

बहारो में ढूंढता हूँ  तुझे,
 फिज़ाओ में खोजता हूँ तुझे

तू रहती कहाँ है आ बता दे मुझे
दिल से दिल का पता दे मुझे

ऐ ज़िन्दगी............................

तू मिलेगी कभी ये यकी है मुझे
दिल देगी कभी हाँ तू भी मुझे-२

चाहूँगा तुझको ही हर घडी ओ 'ख़ुशी'
'मीठी' सी होगी मेरी वो 'हमनशि'

छिपी है कही इन नज़ारो में वो कहीं
होगी वो हज़ारो में है मुझे ये यकी-२


ऐ ज़िन्दगी ढूढता हूँ तुझे ही हर कही
जाने क्यों मिलती तू मुझे है नही-२"








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