Sunday 3 September 2017

मुक्तक, कविता, गीत

1-                शायरी

"अगर तुझसे वफ़ा का वादा मैंने न किया होता
तो तेरी तरह मेरा भी आज एक घर बसा होता

तू तो निकली बेवफा कर के किसी और से सगाई
तेरी बेवफा मोहब्बत पर भी वफ़ा की रीत निभाई"

2-                   कविता



"तू आ पास मेरे ये जहाँ तेरे नाम मैं कर दूँ
तू है 'ख़ुशी' मेरी आज जान तेरे नाम में कर दूँ

'मीठी' लगती है हर शाम और सुबह मुझे अब
अपनी 'ख़ुशी' का हर अरमान तेरे नाम में कर दूँ

जीने की वजह बन गए हो तुम मेरी इस कदर
तू आ पास मेरे ये पहचान तेरे में नाम कर दूँ"

3-     गीत-तुमसे है

" तुमसे है हर 'ख़ुशी' मेरी
तुम ही तो हो ज़िन्दगी मेरी-२

'मीठी' ज़िन्दगी का ये अरमां
'ख़ुशी' का हर वो लम्हा
ऐ मेरी हमदम तुम्ही तो हो
तुम ही जीने की वजह मेरी-2

तुमसे है......................

करता हूँ इबादत तेरी
तू ही है हमनशीं मेरी

दूर तुझसे न रह पाउँगा
बिन तेरे मैं मर जाऊँगा
छोड़ न जाना तुम कभी
तुम ही हो 'मीठी ख़ुशी' मेरी-2

रुठोगी जो तुम मुझसे मैं मनाऊंगा
है वादा दूर तुमसे नही में जाऊंगा

मौत भी जुदा नहीं कर पायेगी हमें
तेरे लिए मौत से भी लड़ जाऊंगा-2

है सदा 'मीठी' 'ख़ुशी' की
ये कहता है ज़माना सारा

तुम ही तो अब  बंदगी मेरी
तुम ही तो हो ज़िन्दगी मेरी-2

तुमसे है हर ख़ुशी मेरी
तुम ही तो हो ज़िन्दगी मेरी-4"




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