Friday 13 April 2018

ईश्वर वाणी-244, मेरे अंश

ईश्वर कहते हैं, “यद्धपि मैंने ही श्रष्टि व जीवन का निर्माण किया है किंतु आज तुम्हें मैं बताता हूँ वो सत्य जिसे तुम मानव नही जानते तथा सदा भृम में रह कर असत्य का अनुसरण कर मानव को मानव का शत्रु बनाते हो।
हे मनुष्यों मैं जीवन मे प्रथम, आत्मा में प्रथम, सत्य, निराकार, अनन्त और अविनाशी हूँ, शक्ति में सर्वशक्तिशाली अनन्त जीवन का दाता परमेश्वर हूँ, हे मनुष्यों मैंने ही अपने अंशो का सबसे पहले खुद से ही निर्माण अर्थात जन्म दिया, जिन्हें तुम देश, काल, परिस्थिति, भाषा, सभ्यता, संस्कृति के अनुसार अनेक नामो से जानते हो तथा निम्न रूपो में जानते व मानते हो। किंतु उन्ही अंशो ने समस्त ब्रमांड व जीव जंतुओं का निर्माण मेरे कहने व आज्ञा के अनुसार किया।
जैसे गंगा जल गंगा नदी से निकाल कर किसी बर्तन में भर देने पर भी गंगा जल ही रहता है, अब चाहे गंगा नदी से कितने ही बर्तनों में उसे भर ले, हर बर्तन में रखा जल गंगा जल ही कहलायेगा, अब इस बर्तन में भरे जल का भी उतना ही महत्व है जितना गंगा नदी में बहते हुए जल का, यदि कोई मनुष्य उस नदी में स्नान न कर पाने में सक्षम में हो तो इस बर्तन में रखे जल के छीटे मारने मात्र से नदी में नाहये जितना ही शुद्ध माना जाता है।

भाव ये है यदि तुम मेरे अंशो की पूजा आराधना स्तुति करते हो, सत्य, अहिंसा व प्रेम के मार्ग पर चलते हो तो निश्चित ही मेरे अंशो में तुम्हे स्थान प्राप्त होगा और वो मुझसे निकले हैं जिसके कारण तुम मुझ तक पहुचते हो और मोक्ष रूपी अनन्त जीवन पाते हो। यद्धपि मनुष्य भ्रम की स्थिती पैदा करते है कहते हैं वो परमेश्वर है वो भगवान है, उसकी पूजा करो उसकी नही, वो शैतान के करीब ले जाता है, वो नही जानते कि मेरेकिसी भी रूप की स्तुति तुम्हे शैतान के करीब नह ले जाती अपितु तुम्हारे बुरे कर्म, कटु वचन, कपटी और स्वार्थी व्यवहार, व्याभिचार, धोखा देने की प्रवत्ति, किसी की हत्या करना, मास का सेवन करना, नशे में डूबे रहना, किसी के धनो को धोखे से हड़प लेना जैसे बुरे कर्म तुम्हे शैतान कि और ले जाते हैं।

हे मनुष्यों जैसे तुम्हारे किसी प्रियजन की मूर्ति अथवा तश्वीर तुम उसके जाने के बाद बनवा कर अपने घर व बहुत से व्यक्ति अपने क्षेत्र आदि में लगवा देते हैं, उन्हें आस्था व वशेष सम्मान होता है दिलमे अपने उन प्रियजन के लिए तथा वो चाहते हैं उनके प्रियजन के पथ पर चल सके व उनके अच्छे कर्मों के विषय मे हमेशा नई  पीढ़ी को पता हो और वो गलत मार्ग पर चलने से बचे। हे मनुष्यों जो मूरती पूजा के विरोधी है वो बताये यदि वो या उनके समुदाय के लोग ऐसा करते हैं तो क्या वो अथवा उनके समुदाय के लोग शैतान के उपासक है साथ ही वो अपने पूर्वजों से अलग है जिनकी मूर्ति व तश्वीर को अपने घर व क्षेत्र में लगवाते है, उनके परिवार का इतिहास अलग हो गया ऐसा करने से। 

यहाँ यद्धपिमेरे अंशो ने विभिन्न स्थानों पर मूर्ति पूजा का वरोध कर एक ही ईश्वर की उपासना करने को कहा है किंतु सत्य जाने बिना किसी भी मूर्ति पूजक को हेय दृष्टि से न देखे, क्योंकी उस मूर्ति जो कभी साकार रूप था, जिसके जाने के बाद उसकी याद में उसके मानने वालों ने मूर्ति निर्माण कराया ताकि सदा उनकी आस्था कायम रहे, उस मूर्ति स्वरूपकि आत्मा को देखो जो सदियों से एक है और रहेगी क्योंकी वो मेरा ही एक अंश था जिसको मैंने देश, काल, परिस्थिति के  अनुरूप भेजा था, हे मनुष्यो यदि तुम मेरी बात नही मानते व मेरे ही अंशो की अवहेलना करते हो मेरे क्रोध के भागी बनते हो। इसलिये किसी को कम न आको, सबकी आस्था को सम्मान दो”।

कल्याण हो

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