Thursday 19 April 2018

ईश्वर वाणी-247, वास्तविक आयु

ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यों यद्धपि तुम अपनी भौतिक देह के आधार पर किसी की आयु तय करते हो लेकिन अपनी व अन्य जीवों की वास्तविक आयु जानते हो??

हे मनुषयो तुम्हारी आयु भी इतनी ही  है जितनी इस ब्रह्मांड की, क्योंकि तुम केवल भौतिक देह देख कर ही आयु तय करते हो तो अब सोचोगे की इतनी आयु कैसे हुई हमारी, तो तुम्हें बताता हूँ जैसे तुम्हारा बालक चाहे पुराने वस्त्र पहने या नया किंतु तुम जानते हो कि उसकी आयु क्या है न कि पहने वस्त्र के आधार पर तय करते हो, वैसे ही ये शरीर भी आत्मा का वस्त्र है और आत्मा मेरी सन्तान, तो ये जो भी वस्त्र धारण करे मुझे इसकी वास्तविक आयु पता है।


ब्रह्मांड के उदय के समय से है ही मैंने अपने अंशो द्वारा आत्मा का जन्म करवाया, ये आत्मा न सिर्फ मनुष्य में अपितु समस्त जीव जंतुओं पेड़ पौधों और यहाँ तक कि समस्त ग्रह नक्षत्रों में भी है।

तुम्हारे भौतिक शरीर की उतपत्ति से पूर्व मैंने ग्रह नक्षत्रों की उतपत्ति की, उन्हें जीवन्त रहने के लिए आत्मा को उसमे स्थान दिया ताकि सदियों तक वो जीवित रह कर समस्त ब्रमांडनिये नियमो का पालन कर सके, तत्पश्चात पेड़ पौधे व जीव जन्तुओं का जन्म मानव का जन्म हुआ किंतु  ये जन्म केवल वस्त्र बदलने के समान है, वास्तविक जन्म तो सृष्टि के जन्म के साथ ही हो चुका है तुम्हारा।
हे मनुष्य जो आज तुम्हारे माता पिता है पिछले किसी जन्ममें तुम्हारी संतान थे, वैसे ही भाई बहन बंधु सखा सब पिछले कई जन्मों से तुमसे जुड़े है और आगे भी रहेंगें।

हे मनुषयो ये न भूलो तुम्हारी तरह सभी ग्रह नक्षत्र जीवित है और इनमें भी तुम्हारी भाती आत्मा विराजित है बस फर्क ये है तुम कई बार जन्म ले चुके हो अर्थात शरीर रूपी वस्त्र बदल चुके हो किन्तु इन्होंने तुम्हारी जितनी जल्दी वस्त्र नही बदले है लेकिन इसका मतलब ये नही की ब्रह्मांड में इनको हानि पहुचाये। यद्धपि तुमने कई आकाशीय घटना देखी होंगी जिनमे नक्षत्रो को टूट कर नष्ट होना फिर नए नक्षत्र का उदय देखा होगा, ये सब तुम्हारे ही भौतिक शरीर की भांति है ये, किन्तु आत्मा उतनी ही पुरानी अर्थात इसकी आयु उतनी ही जितनी तुम्हारी।


हे मनुष्यों मैं पहले भी बता चुका हूं और आज भी बताता हूं कि समस्त पृथ्वी सम्पूर्ण ब्रमांड का प्रतीक है, इस संसार के समस्त जीव जंतु भी आकाश के ग्रह नक्षत्रों के ही समान हैं, जैसे आकाश में निम्न ग्रह नक्षत्र जन्म लेते व नष्ट होते रहते हैं वैसे ही भौतिक देह लिए समस्त जीव जंतु हैं चाहे वो जलचर हो, थलचर हो अथवा आकश में उड़ने वाले पक्षी, चाहे रेंगने वाले जीव, पेड़ पौधे, वनस्पति, मनुष्य सभी आकाशीय ग्रह नक्षत्रों के समान है।

हे मनुष्यों तुम्हारे दादा-दादी नाना-नानी उस आकाशगंगा के समान है जिसमे तुम्हारे माता पिता भाई बहन व अन्य परिजन रहते हैं, साथ ही तुम्हारे मित्र व पड़ोसी तुम्हारे नजदीकी ग्रह व आकाशगंगा हैं। इसलिए जैसे तुम जीवित हो और घर रूपी आकाश गंगा में रहते हों वैसे ही समस्त ग्रह नक्षत्र जीवित है और परिवार रूपी आकाशीय आकाशगंगा में रहते हैं व अपने भौतिक आकाशीय नियमो का पालन करते हैं और सदियों तक करते रहेंगे।

हे मनुष्यों इसलिये भौतिक देह से किसी को मत आंको, यदि तू ऐसा त्याग देगा तब तुझे वास्तविक आयु पता चलेगी व छोटे बड़े का भेद खत्म होगा क्योंकि आत्मिक स्तर पर सब समान है, किँतु इसका अभिप्राय रिश्तो की मर्यादा व उनके नाम से जोड़ कर न देखे क्योंकी उनका तो पालन तुम्हे करना ही है क्योंकि हर रिश्ता इस भौतिक देह से जुड़ा है और देह आत्मा से और दोनों मिलकर कर्म से जुड़े हैं।"


कल्याण हो

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