Friday 27 April 2018

कविता-ज़िन्दगी की राहों में

“ज़िन्दगी की राहों में रोज़ ठोकर खाते गए
मिले जीतने भी गम हम यू मुस्कुराते गए

मिले तोहफे वफ़ा के बदले बेवफाई के हमे
फिर भी मोहब्बत में वफ़ा हम निभाते गए

रोज टूट कर बिखरते थे हम तेरी आशिकी में
अश्क छिपा बस खुदको हम यू समेटते गए

तूने तो तोहफे दिए मुझे हर पल तन्हाई के
उन तन्हाइयो में भी तुम्हे हम यू पुकारते गए

ज़िन्दगी की राहों में रोज़ ठोकर खाते गए
मिले जीतने भी गम हम यू मुस्कुराते गए-2"

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