Thursday 14 April 2016

ईश्वर वाणी-१३९- सच्चा धर्म

ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यों तुम निम्न मतानुयायों से उनके मत को लेकर झगड़ते रहते हो किन्तु वास्तविक धर्म क्या है तुम्हें पता है,

तुम्हारे कर्म ही तुम्हारा असल धर्म है, माता-पिता की सेवा, गुरू और देश की सेवा, समस्त प्राणी जाति के प्रती दया एंव प्रेम की सच्ची भावना ही धर्म है,

है मनुष्यों इसलिये अपने धर्म का पालन करते रहो, याद रखो मैने तुम्हें किसी जीव को नुकसान पहुचाने की सीख तुम्हे नही दी है क्यौकि ये धर्म के बाहर है, मैने पवित्र गृन्थों मैं भी इसका उल्लेख किया है",

ईश्वर कहते है, "हे मनुष्यों समस्त प्राणी जाती मैं सत्री तत्व विद्धमान है, भगवान शंकर का अर्ध नारीश्वर स्वरूप इसका ही उल्लेख करता है, हे मानवो इसलिय सभी धार्मिक शास्त्रौं मैं मैने तुम्हें नारी का सम्मान करने के आग्या दी है,

है मानवों तुम्हरे अन्दर मौज़ूद शक्ति भी तुम्हारे अन्दर मौज़ूद नारीत्व का ही एक अंश है, इसलिये ये ना समझौं एक नारी जिसे तुम मॉ कहते हो, जिसने तुम्हें जन्म दिया इसके बाद तुम्हारे अन्दर से नारीत्व नष्ट हो गया, हे मनुष्यौं  इसलिये तुम कभी स्त्री से दूर नही हो सकते ना ही उसे दोयम बता सकते हो, तुम्हारे अंदर मैज़ूद नारी तत्व जिसे शक्ति कहते है  उसके बिना तुम कुछ भी नही,

हे मानवों इसलिये समस्त नारी जाती का सम्मान करो जो ऐसा नही करता वो खुद अपना भी सम्मान नही करता"!!

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