Sunday 24 April 2016

मीठी-खुशी

"मिले दोखे खुशी तेरी ही जुदायी मैं,
छोड़ गया मीठी को इस तन्हाई मैं,

रोई दिन रात मीठी कर तुझे याद,
क्या मिला तुझे इस बेवफाई मैं,

खुशी तुझमे ही ढूडती है ये मीठी,
पर तू खुश है उसकी रुलाई मैं,

खुशीसे ज़िन्दगी लुटा दी तेरे लिये,
कसर न छोड़ी तूने किसी सताई मै,

यादों को सज़ोये है आजभी ये मीठी,
क्या मिला उसे इश्क की दुहाई मैं,

मोहब्बत मैं खाली हाथ यहॉ खुशी के,
पर अश्क भरे है मीठी की कलाई मैं,

करती है सवाल आज़ मीठी खुशी से,
कमी क्या लगी तुझे मेरी वफाई मैं,

जो तूने की बेवफाई मुझसे मेरे हमदम,
क्या करी कमी मैने तेरी हर भलाई मैं,

जो कर दिया तूने आज़ मुझे यू तन्हा,
मिली जो तुझे जिन्दगी जग हसाई मैं,


मिले दोखे खुशी तेरी ही जुदायी मैं,
छोड़ गया मीठी को इस तन्हाई मैं-२"

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