Tuesday 5 April 2016

ईश्वर वाणी-१३६-सूछ्म शरीर

ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यौं यु तो प्रत्येक जीव आत्मा मेरा प्रतीरूप है, किसी भी आत्मा का न रूप है न जाति और धर्म है, किन्तु जिन आत्माऑ को किसी भी कारन मुक्ति नही मिलती वो इस भौतिक काया के छूट जाने के बाद भी ऐसे ही भटकती रहती है जिस रूप मैं अपना भौतिक शरीर त्यागा था!!

हे मानवो जिसे तुम आत्मा का भटकना कहते हो वो तुम्हारे अपनों का सू़च्छम शरीर ही तो है, जब ये सब मोह माया से मुक्त हो निराकार रूप मै परिवर्तित होती है तत्पश्चात ये नई देह मैं प्राण डालने हेतु निकल पड़ती है,

जिन आत्माऔ अर्थात जिन सूछ्म शरीर को मुक्ति नही मिलती उनकी कामनाऔ के कारण उन्हें भी निश्चत समय बाद एक दिन पुनः अपने निराकार रूप मै आ फिर एक बार अपने नवजीवन की शुरूआत करनी पड.ती है,इन सूछ्म शरीर की आयु इनकी कामना पूर्ति से ले कर कम से कम १००० और अधिक से अधिक १००००० साल तक मेरे द्वारा दी गयी है"

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