Thursday 15 June 2017

ईश्वर वाणी-214, ईश्वर का साकार व निराकार स्वरूप

ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यों यद्धपि संसार में अनेक लोग मेरे भौतिक स्वरुप अर्थात मूर्ती पूजक है और वही अनेक लोग मेरे निराकार स्वरुप के अनुयायी है, किंतु जो लोग मेरे भौतिक स्वरुप की निंदा करते और उसे मानने वाले को हेय दृष्टि से देखते है आज उन्हें मैं कुछ जानकारी अवश्य देना चाहता हूँ।

देश, काल, परितिथि के अनुरूप मैं ही अपने एक अंश को भौतिक रूप धारण कर धरती पर भेजता हूँ, वही मानवता की हानि रोकने हेतु ज्ञान का पुनः प्रचार प्रसार करते ताकि जो व्यक्ती मेरे ज्ञान और बातो को भूल गए है पुनः उन्हें सत्य का ज्ञान हो और सत्मार्ग का अनुसरण वो करे।

हे मनुष्यों जहाँ जहाँ मानव केवल मेरे भौतिक स्वरुप पर विश्वास कर मेरी सत्ता को चुनोती दे कर जगत व् प्राणी जाती का दोहन व् शोषण  लगा वहा वहा मेरे ही एक अंश ने वहा जन्म ले कर एकेश्वरवाद की नीव रख ये सन्देश दिया की ईश्वर एक है, वो केवल भौतिक स्वरुप मूर्ती आदि में तथा मंदिर मैं नहीं अपितु समस्त जगत में है, अतः मानव को केवल उस मूर्ती की पूजा नहीं करनी चाहिये जो नाशवान है, बल्कि निराकार आदि अनंत ईश्वर की अरांधना व् पूजा करनी चाहिये उसी के समस्त मश्तक झुकना चाहिये क्योंकि वो ही परम सत्य है।

वही जहाँ मानव निराकार ईश्वर पर विश्वास कर जगत व् प्राणी जाती का दोहन करते हुये मेरी सत्ता को चुनोती देने लगे, ।मैंने ही अपने एक अंश को भेजा वहा, उन्होंने जगत व् प्राणी जाती की रक्षा हेतु कभी युद्ध किया तो कभी मानवता के प्रचार हेतु उपदेश दिए, मानव में बुराई के बीज न पनपे तथा सदा बुराई के प्रति वो दहसत में रह कर सत्मार्ग पर ही चले इसलिये मूर्ती पूजा का प्रचलन वहा किया, ताकि मूर्ती जो भले एक कलाकार की एक कल्पना मात्र है जब भी मनुष्य उसे देखे तो पाप कर्मो से भय खाते हुये मेरी ही शरण में आये।

हे मनुष्यों यधपि तुम मेरे साकार और मूर्ती स्वरूप पर यकीं करो या निराकार रूप पर, तुम जिस पर भी विश्वास कर मेरे बताये मानव पथ पर यदि चलोगे तो निश्चित ही मुझे प्राप्त करोगे किंतु अपनी विचारधारा मेरे साकार व् निराकार रूप की एक दूसरे पर धोपोगे व् एक दूसरे का उपहास करोगे नुक्सान पहुँचाओगे तो निश्चित ही मेरे क्रोध के पात्र बनोगे, क्योंकि साकार व् निराकार दोनों ही स्वरुप तुम्हे मुझ तक पहुचाने का ही एक मार्ग मात्र है, मैं ईश्वर हूँ।

कल्याण हो




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