Sunday 25 June 2017

लेख--हिन्दू धर्म नही बल्कि एक प्राचीन सभ्यता

"मैंने एक रिसर्च की और पाया की जो लोग 'हिन्दू' को धर्म कहते है वो
अज्ञानी है, क्योंकि सच्चाई ये ही है हिन्दू कोई धर्मं नहीं, तभी
शास्त्रों और ग्रंथों में कही भी हिन्दू धर्म और हिंदुत्व का जिक्र नहीं
नहीं है।
अब लोग कहेंगे हिन्दू धर्म नहीं तो क्या है? क्या मुझे हिंदुत्व से
दिक्कत है?? तो उन्हें मैं बता दू हिंदुत्व से मुझे दिक्कत नही, पर
हिन्दू एक धर्म भी नही ये सत्य है, 'हिन्दू' एक सभ्यता है, विश्व की अनेक
प्राचीन सभ्यताओ में से अभी तक जीवित बची सबसे विकसित प्राचीन सभ्यता जो
प्राचीन काल से अब तक अपना अस्तित्व बचा कर रख पायी है, हालांकि अब इसमें
बहुत बदलाव आधुनिकता के आधार पर आ चूका है फिर भी मूल तत्व अपने साथ लिए
ये आज भी जीवित है।
'हिमालय पर्वत श्रंखलाओ से हो कर अनेक नदियो के किनारे' एक विशाल विकसित
सभ्यता का विकास हुआ, हिन्दू का 'हि' शब्द उसी हिमालय के समीप व् 'न्द'
शब्द नदी किनारे बसी उसी सभ्यता के विषय में जानकारी देता है, यहाँ पर
रहने वालो को ही हिन्दू कहा जाने लगा।
विश्व की सबसे प्राचीन और विकसित सभ्यता के नाम पर ही उसके समीप बहते
विशाल सागर को ही हिन्द महा सागर कहा गया, याद रखने योग्य ये है अभी तक
किसी धर्म के नाम पर किसी नदी या सागर का नाम नही रखा गया है, केवल हिन्द
महा सागर नाम क्यों ?? क्योंकि ये धर्म नही बल्कि प्राचीन विकसित और अब
तक जीवित इकलौती सभ्यता है।
तभी सभी हिन्दुओ के नाम, भाषा, रीती रिवाज़,त्योहार सब अलग है, कारण केवल
हिमालय तथा उससे निकलने वाली नदियो के किनारे बसे लोग, सभी ने अपने
अनुसार भाषा बोली, रीती रिवाज़ और त्योहार मनाये, तभी एक ही नाम की
धार्मिक पुस्तक 'रामायण' दक्षिण में अलग और उत्तर भारत में अलग
तथामलेसिया व् इंडोनेशिया में अलग है।
यदि ये धर्म होता तो मुस्लिम, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध आदि धर्मो के सामान
इसके मानने वाले एक ही त्योहार करते, रीती रिवाज़ एक होती, एक भाषा मुख्य
होती, किंतु ऐसा नही है।
अब सवाल उठता है विश्व की सबसे प्राचीन विकसित सभ्यता आज इतनी कम क्यों रह गयी?
इसका उत्तर है समय के साथ इसमें आई बुराई, और उन बुराइयों को दूर करने के लिए आने
अनेक मतानुयायी आये, जिन्होंने उसकी बुराई दूर करने के लिये उपदेश दिए,
जिन्होंने उन उपदेशो को माना वो उसी मत अर्थात धर्म को मानने वाले होते
गए, बाद में कुछ शाशको ने बलपूर्वक या लालच दे कर इस सभ्यता के लोगो को
बहका कर किसी दूसरे मत अपने
अनुसार किया, फलस्वरूप आज ये सभ्यता विश्व
में इतनी ही बची है।
किंतु उम्मीद है दुनिया का हर देश आज इस अत्यंत प्राचीन सभ्यता का शोषण
और खत्म करने की अपेक्षा बचा कर रखेगा, यही सभ्यता है अब बची है जब मानव
इतिहास की पूर्ण व्याख्या करती है।
--
Thanks and Regards
*****Archu*****
3 mins · Privacy: P

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