Saturday 24 June 2017

कविता-मुझे मिटाया

"दुनिया में जब जब मैंने दिल लगाया
धोखा ही हर उस शख्स से पाया
कसूर फिर भी किसी का नही शायद
किस्मत ने उन्हें आखिर मुझसे मिलाया

ख़ुशी की चाहत दिखा सभी ने रुलाया
इश्क के नाम पर सभी ने सताया
मीठी बाते बना सदा बहलाते रहे मुझे
पर वफा का वादा न किसीने निभाया

दिलके रिश्ते बना दिलसे से ठुकराया
अपना बना कर भी न अपना बनाया
एक मोहब्बत की ही चाहत की थी
ज़िन्दगी बता अपनी ज़िन्दगी से हटाया

फिर भी साथ रखा तेरी बेवफाई का साया
तूने भुला दिया मुझे पर न मैंने तुझे भुलाया
ज़िन्दगी के आखिर तक एक साथ चाहा था
पर तूने तो ज़िन्दगी से ही मुझे मिटाया"



No comments:

Post a Comment