Friday 23 June 2017

ईश्वर वाणी-२१७, कर्मफल

ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यों यूँ तो तुम अपनी देह में रह कर अनेक सुख और दुःख प्राप्त करते हो, यद्धपि तुम्हें पहले भी में बता चूका हूँ दुःख क्या है और सुख क्या, फिर भी सारांश में आज इतना ही कहता हूँ 'तुम्हारी इच्छित वस्तु अथवा इच्छा का पूर्ण होना तुम्हे हर्षित करता है, तुम्हे उस भौतिक वस्तु की प्राप्ति ही प्रसन्नता देती है मिलने पर, वही यदि वो वस्तु तुम्हे नही मिलती तो उसका न मिलना ही दुःख का कारन', भाव ये है सब कुछ तुम्हारे अनुसार ही जब होता है तब जो भाव मन में तुम्हारे आते है वही खुशी है चाहे इससे किसी को कष्ट मिल रहा हो पर तुम प्रसनन होते हो क्योंकि सब तुम्हारे अनुसार ही हो रहा है,

वही जब तुम्हारे अनुसार कार्य नही होता, परिस्तिथियां भी विपरीत होती जाती है तब खिन्नता का भाव मन में तुम्हारे आता है जो दुःख का कारण बनता है।

हे मनुष्यों ये मानव जीवन तुम्हे अनेक योनियो के बाद मिला है, तुम्हारे पिछले कई जन्मों के कर्म और इस जन्म के कर्म ही तुम्हे दुःख व् सुख की प्राप्ति करवाते हैं।

जैसे कोई पापी व्यक्ति  इस जन्म में कई पाप कर चुका और फिर भी सुख प्राप्त करता है, ऐसा इसलिये पिछले जन्म के कर्म उसके अधिक श्रेष्ट थे, उनके प्रभाव से उसके बुरे कर्मो का फल इस जन्म में नही मिला किंतु उसने अगला जन्म अपने बुरे कर्मो से खराब कर अगले जन्म के लिए केवल दुःख ही कमाया।

घृणा, झूठा आरोप, अपमान, हत्या, व्यभिचार, रिश्तों की अवमानना, देश ध्रोह, राज ध्रोह, निरीहों और कमजोर को सताना, सदा अपनी ही हाँकना, दूसरो को नीचा समझना, बुरी नियत रखना, संपत्ति हड़पना, दूसरे का हिस्सा छिनना, धन का व् ।मनुष्यों का देह का अभिमान करना ये सब पाप कर्म है, इसका दंड यदि पिछले जन्म के पुन्य पूरे इस जन्म में पूर्ण होते है तो इसी जन्म में दंड मिलता है यद्दपि ऐसा नही होता तो अगले जन्म में तुम्हारे जन्म से लेकर जब तक दंड तुम्हारा पूर्ण नही होता मिलता रहता है।

हलाकि बीच में कुछ वक्त के लिए कष्ट कम जरूर हो जाते है कारण कुछ इस जन्म के अच्छे कर्म व् जो लोग तुमसे जुड़े है उनकी किस्मत तुमसे जुडी जिससे उनके पुन्य कर्म के कारण अस्थाई रूप से कुछ पल के लिए तुम्हारे भी कष्ट कम हो गए।

हे मनुष्यों इसलिये तुमसे कहता हूँ केवल भौतिक वस्तुओं की लालसा कर उन्हें प्राप्त करने के पीछे मत भागो, कर्म मत खराब करो, यही तो असल पूँजी है इसे अधिक कमाओ और संभाल के रखो क्योंकि अगले जन्म में यह ही तुम्हे मिलेगी, अगर अभी बुराई का रास्ता युही अपनाते रहे तो अगला जन्म दुःख में बीतेगा क्योंकि सुख रुपी धन बुरे कर्मो में तुम आज जो खर्च कर चुके हो,

वक्त अभी भी है, इसे न जाने दो, मेरे बताये मार्ग को अपनाओ और सच्ची पूँजी कमा के आनंद प्राप्त करो"


कल्याण हो

कॉपीराइट@अर्चना





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