Thursday 12 June 2014

क्या रखा है हमने हमारा ये देश संभाल के,



पासे सभी उलट गये थे कभी  जहाँ दुश्मन की चाल के,
अक्च्छर सभी पलट गये थे जहाँ भारत के भाल से,

मंज़िल पे आया था कभी मुल्क हर बला को टाल के,
सदियों के बाद फिर उड़े थे कभी बादल यहा गुलाल के,



वो लाए थे तूफान से कश्ती  निकाल 
के
क्या रखा है हमने हमारा ये देश संभाल के,-2
क्या ऐसा ही भविश्य में हमे देखा था 

उन्होने भारत विशाल के,
क्या रखा है हमने हमारा ये देश संभाल के,

हर कही बर्बाद हो रहा है ये बगीचा
इसको हृदय के खून से कभी बापू ने था सीचा-2
रखा था इससे कभी शहीदों ने बाल के,
क्या रखा है हमने हमारा ये देश संभाल के,

दुनिया के दाँव पेच में उलझे हैं शान से,
मज़िल हमारी क्या थी और भुला दिए हैं रास्ते,-2
भटक गये हैं आज हम अपने संघर्षों को भुला के,
क्या रखा हैं हमने हमारा  ये देश  संभाल के,


घोटालों और भ्रष्टाचार से आज भ्रष्ट हैं ये दुनिया,
आतंक वादियों के निशाने पे हर दम है ये दुनिया-2
व्याभिचार के अत्याचारो से तरष्ट है आज ये दुनिया
कितना रखा हमने यहा खुद को संभाल के,
क्या रखा है हमने हमारा ये देश संभाल के,

आराम की भूल भुलैये में हम 

अपने अतीत को हैं भूले,
सपनो के हिंडोलेओं पे मगन हो के 

हम शहीदों के ख्वाबों को हैं भूले-2

आज़ादी दिलाने के लिए 
जिन्होने जान थी गवाई-2
आज़ाद और खुशाल हिन्दुस्तान की तश्वीर 
जिनकी आँखों में हर पल थी छाई,
क्या रखा है हमने हमारा ये देश संभाल के,

भले दुनिया में दिखाने के लिए 

छु लिया हो आसमान को,
पहुचा दिया है भले हमने आज 

औरों की तरह आसमान में  इंसान को-2

दिल से पुछो क्या सच में कुछ दिया 

हमने हिन्दुस्तान को,
क्या रखा है हमने हमारा 

ये देश संभाल के,

क्या भूख ग़रीबी को मिटाया हैं हमने यहा से,
बेरोज़गारी और लाचारी को क्या दूर भगाया है यहा से,
मर रहे हैं सेंक़डो भूख से ये निर्दोष इंसान यहा के,
क्या रखा है हमने हमारा ये देश संभाल के,

वो लाए थे तूफान से कश्ती  निकाल 
के-2
क्या रखा है हमने हमारा ये देश संभाल के,
क्या ऐसा ही भविष्या में हमे देखा था

 उन्होने भारत विशाल के,
क्या रखा हैं हमने हमारा देश संभाल के,

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