Sunday 22 June 2014

मेरी मजेदार रचनाए

१* पता नई लोग क्यू प्यार करते है, पता नई लोग क्यू इश्क मे डूबे रहते है, कभी  हस्ते है बेवज़ह कभी सर मेरे कंधे पे रख के रोते है



२* दिल मे रहने वाले ही अक्सर दर्द देते है तभी तो हम अपने पास हमेशा पेन किल्लर रखते है, दूर भागता दर्द हमसे अब क्यों की दर्द निवारक दवा को हमेशा अपने मूह में दबाए  है हाहहाहा,



३* "ये मोहब्बत भी क्या चीज़ है यारो कभी हसाती  है कभी रूलाती है, कभी फलक का सितारा बनाती है कभी ज़मीन में मिलती है, ये मोहब्बत भी क्या चीज़ है यारो कभी जीना सिखाती है कभी मौत का पल-2 इंतेज़ार करवाती है, कभी वफ़ा तो कभी बेफाई दिलाती है, ये मोहब्बत भी क्या चीज़ है यारो कभी मिलन तो कभी जुदाई लाती है, कभी ढेरो उमंग तो कभी बेरंग ये ज़ीनदगी बनती है, ये मोहब्बत भी क्या चीज़ है यारो-2"



४*  "ए दिल दीवाने याद ना दिला मुझे वो बाते पुरानी, ए दिल दीवाने ना याद दिला मुझे वो लम्हा जिन्हे करके याद आता है मेरी आँखो से सिर्फ़ अब पानी, ए दिल दीवाने ना याद दिला मुझे उनकी वो निशानी देख जिसे दिल में मेरी आज भी आ जाती है वीरानी, ए दिल दीवाने ना याद दिला साथ उस बेवफा यार की जिसके संग थी कभी मुझे ये अपनी ज़िंदगी गुज़ारनी, ए मेरे नादान दिल ना याद मुझे बीते लम्हो की वो कहानी जिसकी वज़ह से आज कट रही है तन्हा मेरी ये ज़िंदगानी.."



५* "रुला कर मुझे वो हस्ने को कहते है,
जखम दे कर मुझे दवा लगाने को कहते है, टूट कर बिखरता है पल-पल ये मेरा दिल जिनके सितम से, दे कर फेविकोल की बोत्तेल हर बार दिल जोड़ने को कहते हैं" हहहे



६* "आज नही तो कल ये नारा होगा, ज़मीन से ले कर फलक तक एक नाम हमारा होगा, जीत लेंगे हम भी ज़िंदगी हर एक जंग, पा लेंगे अपनी मंज़िल को भी एक दिन, हर किसी की ज़ुबान पे कभी नाम भी हमारा होगा, गगन पे चमते तारो की तरह धरती पे दिखता एक सितारा होगा, दुनिया की भीड़ में एक दिन कभी नाम हमारा होगा "



७* "दर्द में मुझे वो मुस्कुराने को कहते है, बहते हुए इन अश्को को छिपाने  को कहते है, वो होंगे इतने बेरहम हमे मालूम ना था, जल रहा है मूह मेरा ज़ुबान पे निकले इन छ्चालो से और मुझे वो गोल गप्पे खाने को कहते है" बेरहम दोस्त हहेहहे



८* "किसी ने कहा हमसे लिखो कोई मुक्तक,
उठा ली हमने एक पुस्तक
लिख लिख दी उसमे गिनती दस तक,
लो बन गया पहला हमारा काव्या मुक्तक", हहहे ंक्षत् त्यम सीरीयस पक्का



९* "उनके लिए लिखी एक चौपाई, पास बुला कर हमने उन्हे सुनाई, सुन कर उन्होने हमे दी दुहाई, है कसम तुम्हे हमारी, है अगर  थोड़ी भी जान हमारी प्यारी है , ना देना अब और मुझे ये प्रताड़ना, मेरी है तुमसे ये  प्राथना, ना अब फिर कभी करना ये लिखाई, ना सुनाना हमे अपनी चौपाई " हाहहाहा ंक्षत् टाइम सीरीयस पक्का



१०* "मुझे कल मिली मेरी सहेली साबिता(चेंज्ड नेम), उसकी खिदमत में लिखी एक कविता, पर जाने क्यों बदला-2 उसका मिज़ाज़ था शायद इसलिए की उसके पति का नाम बजाज था, साथ जहाँ वो उनके निकली अकेली थी, राह में बरसो बाद उसको मिली उसकी सहेली थी, देख उसे जहाँ पुकारा उसने 'साबिता', उड़ गये उसके होश क्योंकि साथ उसका पति था, करते नही थकती  थी जहाँ तारीफ अपने पति की वो आज सामने खड़ा शख्स वो ही था, फूटी थी एक आँख उसकी और हर एक दाँत भी नकली था, देख उस हसीन शख्स को दिल से बस ये ही निकला 'अर्रे वा री साबिता, क्या इसी का इंतेज़ार तूने बरसो किया था', याद कर उन दोनो के इश्क की दास्तान हमने  लिख डाली खिदमत में उनकी बस एक कविता, वा री साबिता वा



११* "बुझे हुए चिरागो से रोशनी नही होती, मैं वो सूरज हूँ जिसके बागेर दिन की शुरुआत नही होती"



१२* "हसना हसाना गीत गाना ये ही है जीवन का मेरे एक अफ़साना, रोना रुलाना सताना दिल लगाना ये है आशिक का आशिकाना"



१३* "ग़रीबी ने हमे सुधार दिया दोस्तो वरना नशेड़ी हम भी कम ना थे"


१४* मेरी दुआ में तुम हो,

मेरी सुबह में तुम हो,

मेरी हर शाम में तुम हो,

मेरी साँसों में तुम हो,

मेरी बातो में तुम हो,

तुम्हे क्या बताए ए मेरे हमदम 
मेरे तो हर ज़ज़्बात में तुम हो



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