Sunday 8 January 2017

ईश्वर वाणी-१८१, मानवता की शिक्षा

ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यों मैने ही आवश्यकता अनुसार देश, काल, परिस्तिथी के मुताबिक अपने ही एक अंश को धरती पर भेजा जब-२ धर्म व मानवता की हानी हुयी, आगे भी मैं अपने ही एक अंश को भेजता रहूँगा जब जब मानवता ही हानी  होगी,

हे मनुष्यों युँ तो मैं खुद सक्षम संसार को सत्य का मार्ग दिखाने के लिये किंतु तुम माया के अधीन हो इसलिये सहज़ मुझ निराकार परमेश्वर पर यकिं नही कर सकते, तुम्हें केवल इन भौतिक देह पर यकीन है, देह का उत्पन्न होना अर्थात नया जीवन आना देह का त्यागना अर्थात म्रत्यु होना, तुम्हारे लिये सब कुछ देह से जुड़ा है इसलिये तुम्हारे विश्वास के लिये मुझे भी देहधारी बना कर ही अपने एक अंश को धरती पर भेजा!!

हे मनुष्यों ये भी सत्य है तुम्हारे ह्रदय मैं जो सोच है उसे मैं ही लाता हूँ किंतु ये सब तुम्हारे पिछले जन्मों के कर्मों पर निर्भर है, इसलिय प्रेम व कटु भावना, ईर्ष्या द्वेष अनेक भाव, भक्ति व नास्तिक भाव, मेरे कौनसे रूप मैं आस्था तुम्हारी जागेगी ये सब मेरे द्वारा ही तुम्हारे पिछले जन्म के कर्मों से तय होता है!!

हे मनुष्यों देश, काल, परिस्तिथी के अनुसार मैंने ही अपने एक अंश को धरती पर भेज मानवता की होती हानी रोकने हेतु भेजा, जिसे वहॉ के रीति-रिवाज़ और भाषा के अनुरूप कही भगवान, कही गॉड कही फरिस्ता कहि मसीहा कहा गया, इसके साथ मानवता की रक्षा हेतु जिन शिक्षाऔं का प्रसार प्रचार किया उन पर विश्वास कर चलने वाले व्यक्तियों को अलग पहचान करने के लिये केवल मानव द्वारा नाम दे दिया गया धर्म!!

इस प्रकार भाषा व देश, काल, परिस्तिथी के अनुसार न सिर्फ मेरे अंश का नाम बदल मेरा नाम बदला मानवों द्वारा अपितु मेरी शिक्षा मेरे मानने वाले के द्वारा अन्य देश में गयी वहॉ मुझे और मेरे मानने वालों को उसी नाम से जाना जाने लगा जहॉ मेरे ही अंश ने मानवता का ग्यान दिया और ग्यान के प्रचार प्रसार हेतु जो व्यक्ति गये और वहॉ अन्य व्यक्तियों द्वारा इसपर विश्वास किया गया, उन्हें अलग कर पहचान देने के लिये नाम दिया गया 'धर्म', अमुक व्यक्ति उस धर्म का अनुयायी है, साथ ही जिन व्यक्तियों ने उन शिक्षाऔ को आत्मसात किया वह भी अपना नाम व मेरा नाम अपने क्षेत्र व भाषा के अनुसार न रख जिस रूप व नाम पर मुझपर आस्था रखी वहॉ की ही भाषा अनुसार उसने नाम भी रखा जो की आवश्यक नही है!!

आवश्यक केवल इतना है जिस रूप नाम व मेरे ग्यान पर विश्वास रखो किंतु मानव धर्म का सदा पालन करते रहो, देश, काल, परिस्तिथी के अनुसार मैंने हर बार तुम्हें केवल मानवता की ही शिक्षा दी है!!"

कल्याण हो



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